20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ.शिव सागर त्रिपाठी
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जन्म 02 जुलाई 1934
जन्म स्थान मुहल्ला बशैनी हरदोई
निधन 22 मई 2021
स्थायी पता
ए-65 जनता कालोनी, जयपुर

डॉ.शिव सागर त्रिपाठी

जनपद हरदोई की तहसील सण्डीला के मुहल्ला बशैनी निवासी पं. शिव गोविन्द त्रिपाठी के घर दो जुलाई उन्नीस सौ चौंतीस (02.07.1934 ई.) को हरिप्यारी देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिनका नाम प्यार से शिव सागर त्रिपाठी रखा गया। आपके पिता जी मल्लवाँ स्थित बी.एन. इण्टर कालेज में संस्कृत का अध्यापन करते थे। यहीं पर आप की प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला और माध्यमिक शिक्षा बी.एन. इण्टर कालेज से प्राप्त हुई। तत्पश्चात् 1954 ई. में बी.एन.एस. डी. कालेज कानपुर से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसी वर्ष 1954 ई. में विवाहित होकर आप गृहस्थाश्रम धर्म में आ गये। अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए 1956 ई. में आगरा विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में एम.ए. की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। इसके बाद विद्याव्यसनी डॉ. शिवसागर ने एम.ए. हिन्दी विषय से तथा साहित्याचार्य की डिग्री सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय से प्राप्त की। 1980 ई. में राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से ही ‘वीर काव्यों में उपलब्ध निर्वचनों का अध्ययन’ विषय पर शोध कार्य किया।

स्नातक के बाद 1954 से ही आप अध्यापन कार्य में जुड़ गये तथा एक वर्ष तक आर्य नगर इण्टर कालेज कानपुर में संस्कृत विषय का अध्यापन कार्य किया। तत्पश्चात् 1956 ई. में एम.ए. की उपाधि प्राप्त करने के बाद सनातन धर्म इण्टर कालेज में संस्कृत प्रवक्ता के रूप में कार्य करते रहे। पुनः राजकीय सनातन धर्म महाविद्यालय ब्यावर में जून 1962 तक संस्कृत प्रवक्ता के रूप में अध्यापन कार्य किया। सन् 1962 ई. में आपकी नियुक्ति राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में हो गयी। तभी से वहीं पर सारस्वत अध्यापन सेवा में अपना पूरा सेवा काल बिता दिया। 1994 ई. में संस्कृत विभागाध्यक्ष पद से राजस्थान विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त किया।

सम्प्रति आपका परिवार जयपुर में ही मातृशरणम्, ए-65 जनता कालोनी, जयपुर में ही रह रहा है। आप के तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। माँ भारती देववाणी की अर्चा सेवा करते हुए मनीषी का 22 मई, 2021 को पार्थिव शरीर पंचतत्त्व में विलीन हो गया।

रचनाएँ-हिन्दी और संस्कृत में आप ने लगभग 50 से आधिक रचनाओं का सृजन किया है। इनमें से संस्कृत के कुछ रचनाओं के नाम इस प्रकार हैं -

(1) गान्धीगौरवम्

(2) प्राणाहुति

(3) मुद्राराक्षसम्

(4) भ्रष्टायनम्

(5) भ्रष्टाचार सप्तशती

(6) संस्कृत काव्य कल्लोलिनी

(7) नाट्य कल्प

(8) नाट्य कृति

(9) संकीक्षा,

(10) ललितापन।

इसके अतिरिक्त बहुत से संस्कृत ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद भी किया है। आप के द्वारा कुल लगभग 36 ग्रन्थों का लेखन एवं सम्पादन किया गया है। इसके अतिरिक्त शताधिक शोध पत्र एवं सर्जनात्मक साहित्य का सृजन किया गया। इनके जीवन काल में ही दो विश्वविद्यालयों से इनकी कृतियों पर शोधकार्य का होना इनकी विद्वत्ता को दर्शाता है।

डॉ. शिव सागर मिश्र की कृतियों पर किया गया शोध अध्ययन:

(1) ‘डॉ. शिव सागर त्रिपाठी की प्रमुख कृतियों का समीक्षात्मक अध्ययन’ शोधकत्रर््ाी - सुनीता लुहाड़िया, शोधनिर्देशिका - डॉ. मीराजैन (मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान (2020 ई.)

(2) डॉ. शिव सागर त्रिपाठिविरचितसंस्कृतनाटकानां समीक्षात्मकमध्ययनम्। जगद्गुरू रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालयस्य विधावारिधि (पी-एच.डी) उपाधये प्रस्तुतः शोधप्रबन्धः (1 सन् 2019) शोध निर्देशिका - डॉ. शालिनी सक्सेना, अनसन्धात्री श्रीमती सुमन अग्रवाल।

पुरस्कृत-आपको आगरा विश्वविद्यालय (1956), सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्व विद्यालय (1965), राजस्थान साहित्य अकादमी (1970), उ.प्र. शासन लखनऊ (1975), राजस्थान शासन संस्कृत निर्देशालय जयपुर (1977, 1982, 2000, 2002, 2003, 2004, 2007), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ (1984 व 1990), राजस्थान राज्यस्तरीय पुरस्कार (1997 ई), राजस्थान संस्कृत परिषद् (1999), राजस्थान संस्कृत अकादमी, पं. अम्बिकादत्त पुरस्कार (1985 व 2000), नवोदित प्रतिभा पुरस्कार (1999), कथा लेखन पुरस्कार (1999 ई.), दिल्ली संस्कृत अकादमी श्लोक समस्या पूर्ति पुरस्कार (1999 व 2006 ई.), लघु कथा लेखन पुरस्कार (2000, 2001, 2007 ई.), व्यास बाला वक्ष शोध संस्थान से महर्षि पुरस्कार (2002 ई.), वैद्य ल.ना. शर्मा स्मृति जन कल्याण व्यास जयपुर (2004), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ विशिष्ट पुरस्कार (2007), महाकवि आचार्य ज्ञानसागर पुरस्कार (2008 ई.) प्राप्त हुआ।

सम्मान से सम्मानित: राजस्थान संस्कृत एकैडमी, सम्मान पत्र (1991 ई.) राजस्थान संस्कृत साहित्य परिषद् जयपुर (1999 ई.) संस्कृत परिषद् कोटा राजस्थान (2000 ई.) आखिल भारतीय संस्कृत साहित्य सम्मेलन, नई दिल्ली (2006 ई.) राजस्थान जैन परिषद् जयपुर (2006 ई.) राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मान से सम्मानित (4 अप्रैल 2018 ई.)।

राष्ट्रपति एवं विविध राज्यों के पुरस्कारों से सम्मानित मनीषी विद्वान् डॉक्टर शिव सागर त्रिपाठी हरदोई जनपद के ऐसे मणिरल रहे हैं जिन्होंने अपने ज्ञानालोक से न केवल उत्तर प्रदेश अपितु राजस्थान में भी अपनी विद्वत्ता के परचम को लहराया।