20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
राधाकान्त पाण्डेय
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जन्म 11 जनवरी 1904
जन्म स्थान ग्राम लब्ध क्योटरा
स्थायी पता
ग्राम लब्ध क्योटरा औरैया

राधाकान्त पाण्डेय

संस्कृत विद्वत् परम्परा में औरैया जनपद का अग्रणी स्थान है। डॉ. राधा कान्त पाण्डेय इस परम्परा के सर्वमान्य विद्वान् माने जाते हैं। आपका जन्म 11 जनवरी, 1940 ई. को औरैया जनपद की काशी के नाम से ख्याति लब्ध क्योटरा नामक ग्राम में हुआ था। आपके पिता का नाम स्व. श्याम सुन्दर पाण्डेय एवं माता का नाम स्व. अशरफी देवी था। बचपन से ही ये अत्यन्त प्रतिभाशाली एवं कुशाग्र बुद्धि के थे। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला क्योंटरा में सम्पन्न हुई। तदनन्तर तिलक इण्टर कालेज, औरैया, संस्कृत महाविद्यालय और डी.ए.वी. कालेज कानपुर से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। साहित्याचार्य, एम.ए. (संस्कृत), साहित्यरत्न (हिन्दी, संस्कृत) के अतिरिक्त उन्होंने ‘‘कुन्दमाला तथा उत्तररामचरितम् का तुलनात्मक अध्ययन’’ विषय पर कानपुर वि. वि.कानपुर (सम्प्रति छ. शा. जी म.वि.वि. कानपुर) से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। सन् 1990 में आपका विवाह सम्पन्न हुआ। तत्पश्चात् हीरालाल खन्ना इण्टर कालेज कानपुर में प्रधानाचार्य पद पर नियुक्त हुए।

आपके सेवा स्थल कानपुर, औरैया एवं कालपी जनपद जालौन रहे हैं, आपकी दो पुत्रियाँ श्रीमती हिमा मिश्रा एवं निधि दीक्षित हैं।

संस्कृत, हिन्दी एवं अंग्रेजी में समान अधिकार रखने वाले पं. राधाकान्त जी भवभूति के नाटकों पर विशेष अधिकार रखते हैं। संस्कृत के शोधार्थियों की भी यथासम्भव सहायता करना उनका शौक था। उन्होंने

1. दशकुमारचरित (व्याख्या) एवं

2. बुद्धचरितम् (व्याख्या) लिखी।

उल्लेखनीय है कि कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर ने इन्हें अपने पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया। उक्त दोनों ग्रन्थ भारतीय प्रकाशन, चौक, कानपुर से प्रकाशित हुए। आपके शोध पत्रों में ‘महाकवि भवभूति एवं कालपी’ एवं ‘महाकवि भवभूति एवं महर्षि व्यास की नगरी कालपी’ हैं। आपकी संस्कृत विषय में बहुज्ञता एवं सृजन के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्रदान किया गया। आप सरल स्वभाव एवं विद्वत् परम्परा में अग्रणी होने के कारण संस्कृत से सम्बंधित विभिन्न संस्थाओं के विभिन्न पदों पर मनोनीत किए गए, जिनमें प्रमुख हैं-अध्यक्ष विद्वत् परिषद् औरैया। आपने संस्कृत विद्वत् परिषद् की स्थापना भी की और इसकी शाखाएँ विभिन्न जनपदों में प्रारम्भ कीं।

आपकी गुरु परम्परा में पं. छोटे लाल त्रिपाठी, हरिदत्त शास्त्री, डॉ. बाबू राम पाण्डेय आदि विद्वान् रहे। इसी प्रकार इनके उत्कृष्ट विद्यार्थियों की एक सुदीर्घ शृंखला है जिसमें निर्मला गुप्ता, डॉ. गोविन्द द्विवेदी, अजय अंजाम आदि उल्लेखनीय हैं।

डॉ. पाण्डेय जी पौरोहित्य एवं कर्मकाण्ड में जनपद में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं और अनेक नवोदित कर्मकांडी उनसे शिक्षण-प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं गौरवान्वित होते हैं। निष्कर्षतः डॉ. राधाकान्त पाण्डेय जनपद के श्रेष्ठ विद्वानों में परिगणित किए जाते हैं।