20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
पं. शिवशंकर अवस्थी
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जन्म स्थान सुमेरपुर

पं. शिवशंकर अवस्थी

आपका जन्म पं. रामकुमार अवस्थी और माता श्रीमती चन्द्रमती अवस्थी के घर उन्नाव जनपद के बैंसवार के सुमेरपुर गाँव में सन् 1920 ई० को हुआ था । आपकी पत्नी श्रीमती ललिता अवस्थी एक कुशल गृहणी थीं। वह इस समय गोरखपुर कैण्ट क्षेत्र स्थित ललिता सदन में निवास कर रही है । आपके एक मात्र पुत्र विद्याभूषण अवस्थी जोधपुर विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान में प्रतिष्ठित अध्यापक हैं ।

पं. शिवशङ्कर अवस्थी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में व उच्च शिक्षा कानपुर व लखनऊ विश्वविद्यालय में हुई ।

आप सर्वप्रथम फर्रुखाबाद के राजकीय इण्टर कॉलेज में शिक्षक नियुक्त हुए, किन्तु दो वर्ष बाद आप उन्नाव आ गये, वहाँ पुन: आप इण्टर कॉलेज में अध्यापन कार्य करने लगे। कुछ वर्ष बाद ही आप फैजाबाद में आकर एक महाविद्यालय में अध्यापन कार्य करने लगे । इसी बीच वर्ष 1958 में गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना होने पर आप गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में शिक्षक नियुक्त हुए ।

आपने मन्त्र एवं मातृकाओं के रहस्य पर लम्बा अनुसन्धान किया है। आपको मन्त्र और मातृकविषयक अनुसन्धान पर पुरस्कार मिला है । आपके अनेक लेख गोरखपुर गीता प्रेस से प्रकाशित पत्रिका में भी छपे हैं। आपने अपने बारे में अधिक कुछ नहीं लिखा है । काश्मीर शैव दर्शन के प्रमुख ग्रन्थ "प्रत्यभिज्ञाहृदयम्" पर आपकी हिन्दी व्याख्या प्रकाशित है । डॉ० अवस्थी का सारा समय अध्ययन तथा अनुसन्धान में व्यतीत होता था । पुरुष सूक्त पर आपका हिन्दी भाष्य, बीस प्राचीन संस्कृत भाष्यों और विद्वत्तापूर्ण भूमिका सहित सातवाहन से प्रकाशित है । आपने वाक्यपदीयम् की कारिका और वृत्ति का हिन्दी विवरण लिखा है । आपने अन्य अनेक ग्रन्थ लिखे हैं जो बहुत प्रसिद्ध हैं । आपको प्रदेश सरकार से पुरस्कार भी मिले हैं ।

आप लम्बी बीमारी के बाद 12 जून 1998 ई० को दिवंगत हो गए ।