20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ आनन्द मंगल बाजपेई
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जन्म स्थान ग्राम सरैया
स्थायी पता
ग्राम सरैया , जिला सीतापुर

डॉ आनन्द मंगल बाजपेई

डॉ आनन्द मंगल बाजपेई संस्कृत भाषा के परम विद्वान् हैं । इनका जन्म जिला सीतापुर के ग्राम सरैया में हुआ। बाल्यावस्था में ही अपने माता पिता के साथ लखीमपुर में ही आकर बस गये । इनकी माता का नाम श्रीमती रामश्री तथा पिता का नाम श्रीरामकृष्ण बाजपेई है । इनकी पत्नी का नाम सरला था तथा इनके दो पुत्र आशुतोष तथा अनुराग तथा एक पुत्री अनुभूति है ।

इनकी आरम्भिक शिक्षा पन्त हायर सेकेण्डरी स्कूल बम्भौरा में हुई तथा उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय से हुई यहीं से 1970 में शोध कार्य किया । 33 वर्ष तक राजस्थान में राजकीय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में स्नातकोत्तर कक्षाओं में अध्यापन करते हुए प्राचार्य रहे तथा बाद मे संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए । डॉ बाजपेई जी पण्डित शालिग्राम शास्त्री, आचार्य बच्चूलाल अवस्थी (लखीमपुर), पण्डित दामोदर झा (मिथिला) के शिष्य रहे तथा डॉ. लक्ष्मीनारायण शर्मा (कोटा) के गुरु रहे ।

आप संस्कृत, पाली, प्राकृत, अंग्रेजी, हिन्दी तथा डिंगल भाषाओं के ज्ञाता हैं ।

 बाजपेई जी की विशेषज्ञता का क्षेत्र भाषा शास्त्र, प्राचीन पाण्डुलिपि संपादन, व्याकरण, निरुक्त आदि रहा है । इनकी 10 से अधिक प्रकाशित पुस्तकें हैं, जिनमें आनन्द छन्द, मिलिन्द प्रश्न विमर्श, प्रकृतिसंस्कृतम्, मिलिन्दपन्हो, पालि-प्राकृत भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन तथा बिहारी का काव्य है । इन्होंने 14 शोध छात्रों को शोध निर्देशन किया है ।

इनकी साहित्यिक सेवाओं तथा संस्कृत भाषा के समर्पण हेतु अनेक पुरुस्कार प्राप्त हुए हैं ।