20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रियम्वदा वेदभारती
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जन्म 24 अक्टूबर 1960
जन्म स्थान ग्राम तलगल पट्टी गुराडस्यूँ पोस्ट रीठाखाल जिला पौडी गढ़वाल
मोबाइल नंबर
9412824424
स्थायी पता
गुरुकुल आर्ष कन्या विद्यापीठ,कोतवाली रोड, नज़ीबाबाद, 246763

प्रियम्वदा वेदभारती

प्रियम्वदा वेदभारती का जन्म 24 अक्टूबर 1960 को ग्राम तलगल, पट्टी गुराडस्यूँ पोस्ट रीठाखाल जिला पौडी गढ़वाल (उत्तराखण्ड) में हुआ। इनकी माता श्रीमती सरला देवी तथा पिता श्री गोविन्द राम ध्यानी थे।

वे अविवाहित हैं।

प्रियम्वदा की आरम्भिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला, मुरादाबाद में हुई। तदनन्तर पाणिनीय कन्या महाविद्यालय वाराणसी, तथा सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुई। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विस्वविद्यालय से ही 2002 में पाणिनीयव्याकरणे सङ्केतितानां यज्ञीयविषयाणां समीक्षात्मकमध्ययनम् विषय पर विद्यावारिधि शोधोपाधि प्राप्त की जो पश्चात् 2018 में हितकारी प्रकाशन समिति हिण्डौन सिटी राजस्थान से प्रकाशित हुई।  आपकी साक्षाद् गुरु पदवाक्यप्रमाणज्ञ पं. ब्रह्मदत्त जिज्ञासु तथा पं. युधिष्ठिर मीमांसक की सुयोग्य शिष्याओं आचार्या प्रज्ञा देवी तथा पं. मेधा देवी  थीं।

आपने 12 वर् पाणिनि कन्या महाविद्यालय, वाराणसी तथा 25 वर्ष गुरुकुल आर्य कन्या विद्यापीठ में अध्यापन किया। आपकी प्रमुख शिष्याएँ डॉ. कल्पना भारती, डॉ. मनीषा भारती डॉ. प्रतिज्ञा भारती, डॉ. उपासना भारती, डॉ. श्रद्धा भारती, डॉ. पूजा रानी, डॉ. आयुषी राणा भारती, श्रीमती सुलभा शास्त्री आदि हैं।

प्रियम्वदा वेदभारती की कुल प्रकाशित पुस्तकों की संख्या 12 है जिनमें से 2 मौलिक तथा 10 सम्पादित हैं। पुस्तकों के नाम इस प्रकार हैं- पाणिनीयव्याकरणे यज्ञीयमीमांसा (हिन्दी अनुवादसहित) हितकारी प्रकाशन समिति हिण्डौन सिटी, राजस्थान। निगमामृतम् हितकारी प्रकाशन। सन्धि विषय नामिक कारकीय आदि विषयों पर व्याख्यात्मक पुस्तकें  तथा पारस्करगृह्यसूत्र (व्याख्या आचार्य सत्यव्रत राजेश) (सम्पादित)। सभी हितकारी प्रकाशन से प्रकाशित। लगभग 30 सोधपत्र तथा 20 लेख प्रकाशित हैं जिनमें वैदिक्य उपमाः (विश्वसंस्कृतम् मार्च-जुन 1987), अधियज्ञं सृष्टिविज्ञानम् (पावमानी, वाल्मीकिरामायणे वैदिकी राज्यव्यवस्था (गुरुकुलपत्रिका मार्च 2006), अथर्ववेदीयकुन्तापसूक्त एक विवेचन (पाराच्यविद्यानुसन्धानम् जनवरी 2008), वैदिक प्रतीकवाद (वैदिक वाग्ज्योति ) आदि प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त शरव्या ब्रह्मसंहिता, वेदों का नित्यत्व एवं आविर्भाव प्रकार, वेदार्थरक्षण में कल्पसाहित्य का योगदान, व्याकरण की आर्ष परम्परा, नारियों के शास्त्रीय अधिकार आदि महत्त्वपूर्ण प्रकाशित लेख हैं। व्याकरण तथा कर्मकाण्ड की विशेषज्ञ प्रियम्वदा सम्प्रति गुरुकुल आर्य कन या विद्यापीठ नज़ीबाबाद की आचार्या एवं प्रबन्धिका हैं तथा कन्याओं को परम्परागत शिक्षा द्वारा संस्कृतके प्रचार-प्रसार में निरन्तर योगदान कर रही हैं।

आपने शैक्षणिक उद्देश्य से नेपाल यात्रा भी की।

आप स्थायी रूप से गुरुकुल आर्ष कन्या विद्यापीठ,कोतवाली रोड, नज़ीबाबाद, 246763 में निवास कर रही हैं। आपका सम्पर्क सूत्र 8171455600 (आवास) तथा 9412824424 (कार्यालय) है।