20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
शिवदत्त पाण्डेय
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जन्म 24 जुलाई 1950
जन्म स्थान सुभाष नगर सैनी कौशाम्बी
स्थायी पता
सुभाष नगर सैनी कौशाम्बी

शिवदत्त पाण्डेय

श्री शिवदत्त पाण्डेय जी का जन्म 24 जुलाई सन् 1950 ई. को सुभाष नगर सैनी कौशाम्बी में हुआ था । आपके पिता उत्कृष्ट संस्कृत विद्वन् श्री शिवकुमार पाण्डेय एवं माता श्रीमती बुद्धिमती पाण्डेय थीं । सन् 1966 में आपका विवाह श्रीमती विमला पाण्डेय के साथ सम्पन्न हुआ । आपके पुत्र का नाम श्री अरुणेश पाण्डेय है ।

श्री पाण्डेय जी की प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा सैनी में ही सम्पन्न हुयी । इसके उपरान्त सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में साहित्य विषय लेकर आचार्य की उपाधि तथा कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी व संस्कृत विषय में एम. ए. की उपाधि प्राप्त की ।

16 जुलाई सन् 1971 को श्री पाण्डेय जी फतेहपुर जनपद कें बेला ग्राम में स्थित श्री आनन्द संस्कृत महाविद्यालय में शिक्षक पद पर नियुक्त हुये और 01 अगस्त सन् 1976 को प्रवक्ता पद पर चयनित होकर निरन्तर अध्यापन कार्य करते हुये 30 जून सन् 2011 को कार्यवाहक प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुये ।

श्री पाण्डेय जी की अध्यापन शैली अद्‌भुत अद्वितीय थी । कठिन से कठिन विषय भी सहज रूप से छात्रों को समझा देते थे । अध्यापन के साथ ही आप निरन्तर अध्ययन भी करते रहते थे । संस्कृत, हिन्दी व अंग्रेजी भाषाओं में आपकी निर्वाध गति थी, तीनों ही भाषाओं में आपने लेख, गीत एवं कविताएँ लिखी हैं ।

शेखर तिलकम् - एकादश वृत्तों में उपनिबद्ध इस संस्कृत काव्य में श्री चन्द्रशेखर आजाद के जीवन-वृत्त का वर्णन किया गया है। इसमें अनुष्टुप् छन्द का प्रयोग किया गया है तथा वृत्तान्त में भिन्न छन्द प्रयुक्त हैं, जिसमें अग्रिम वृत्त की घटना की सूचना रहती है। दो सौ से अधिक छन्दों वाले इस काव्य का कथानक अत्यन्त ही रोचक एवं शब्द योजना अतीव सौष्ठवपूर्ण है।  लेखक के पास यह काव्य अभी पाण्डुलिपि रूप में ही है, प्रकाशित नहीं हैं। इसके अतिरिक्त संस्कृतभाषा में पचास से अधिक लेख हैं जो कि विभिन्न-पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, यथा - कवि वंशावतंसः कालिदासः (संस्कृतामृतम् मई 1991), भवभूतेः प्रकृतिनिरीक्षणम् (संस्कृतामृतम् अप्रैल 1993), पाठ्यक्रमेषु संस्कृतस्यानिवार्यता ( भारतोदयः व संस्कृतामृतम् फरवरी 1990), अध्यात्मरामायणपरिचयः (संस्कृतामृतम् सितंबर 1991), शाकुन्तले प्रकृतिमानवयोः तादात्म्यम् (संस्कृतामृतम् अक्टूबर 1992) इत्यादि

आंग्लभाषा में भी पच्चीस से अधिक लेख लिखे हुये हैं। जो अनेकों प्रत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा हिन्दी भाषा में कई गीत एवं कविताएँ भी लिखित हैं।

श्री पाण्डेय जी अत्यन्त ही विद्याव्यसनी हैं। आप आज भी पुत्र अरुणेश पाण्डेय के साथ निज निवास सैनी के में रहते हुये निरन्तर विद्यार्थियों को पढ़ाते रहते हैं ।