20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. तरुण शर्मा
जन्म 10 जुलाई 1976
जन्म स्थान ग्राम मरहला
मोबाइल नंबर
9839161746
स्थायी पता
ग्राम मरहला पोस्ट भूरे का जिला मथुरा उत्तर प्रदेश 281205

डॉ. तरुण शर्मा

डॉ. तरुण शर्मा का जन्म 10 जुलाई 1976 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के मरहला ग्राम में हुआ था । आपके पिता का नाम श्री शिवलाल शर्मा तथा माता का नाम श्रीमती सावित्री देवी है । आपका विवाह 06 दिसंबर सन् 2006 में हुआ । डॉ. शर्मा के 2 पुत्र चन्द्रकान्त शर्मा तथा कार्तिकेय शर्मा हैं तथा एक पुत्री हिमाक्षी शर्मा है ।

डा. शर्मा 15 वर्षों से न्रन्तर विद्याध्ययन में योगदान कर रहे हैं। डॉ. शर्मा जी ने संस्कृत विषय से एम.ए. नेट, डी. फिल. की उपाधि प्राप्त कर अपने सन् 2003 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद से शोध कार्य किया । आपके शोध का विषय -"कविवर क्षेमेन्द्र के लघु काव्य का परिशीलन" था । आपका शोध प्रबन्ध राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली द्वारा आर्थिक सहायता से प्रकाशित है । तरुण शर्मा संस्कृत साहित्य एवं काव्यशास्त्र के उद्भट् विद्वान् हैं । आप अतर्रा पी.जी. कॉलेज अतर्रा बांदा में संस्कृत विभाग में प्रवक्ता पद पर कार्यरत हैं । डॉ. शर्मा 4 भाषाओं के जानकार हैं । हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी भाषा में आपका समान अधिकार है, साथ ही आप जर्मन भाषा भी बोल सकते हैं, समझ सकते हैं । डॉ. शर्मा के 40 से अधिक शोध पत्र विभिन्न शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं । इसके अतिरिक्त विभिन्न विषयों में स्तम्भ लेखन भी आपकी रुचि का क्षेत्र है । वैदिक मन्त्रों का शुद्ध उच्चारण, वैदिक स्वरों का ज्ञान, वेद मन्त्रों का सस्वर गायन, यूट्यूब में के माध्यम से व्याकरण शिक्षण का कार्य, विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन, संस्कृत भाषा के संवर्धन हेतु राष्ट्रीय संस्कृत मंच के माध्यम से संस्कृत विषय पर अन्तर्जालीय संगोष्ठी आदि का आयोजन अन्य अनेकानेक सांस्कृतिक गतिविधियों से आप संस्कृत साहित्य की सेवा करते हैं ।

रचनाएँ-

डॉ. तरुण शर्मा अद्यावधि तीन पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं ।

  1. "क्षेमेंद्र के लघुकाव्य: एक परिशीलन" । 292 पृष्ठों की यह पुस्तक सन् 2010 में रामा प्रकाशन इलाहाबाद से प्रकाशित हुई है । प्रस्तुत पुस्तक में कालजयी रचनाकार कविवर क्षेमेंद्र के कविकर्म का विश्लेषण किया गया है । इस ग्रंथ में क्षेमेंद्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए तत्कालीन समाज में व्याप्त विविध दूषित पक्षों पर उनके द्वारा किए गए व्यंग्यों एवं अधिक्षेपों का व्यापक विवेचन किया गया है । कविवर क्षेमेंद्र का उदय उस समय हुआ जब कश्मीर की सामाजिक दशा अपने पतन की ओर अग्रसर थी । क्षेमेंद्र इसी दशा का यथार्थ चित्रण करने वालों में अग्रणी थे । क्षेमेंद्र की उपदेश शैली के माध्यम से सामाजिक एवं वैयक्तिक मूल्यों का प्रकाशन किया गया है । प्रस्तुत ग्रंथ में क्षेमेंद्र के लघुकाव्यों का परवर्ती साहित्य पर प्रभाव, सांस्कृतिक मूल्यांकन, साहित्यिक अनुशीलन तथा कवि के अन्य कवियों से भावसाम्य का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है ।
  2. "राघवेन्द्रचरितम् का काव्य विमर्श” रामा प्रकाशन, इलाहाबाद में प्रकाशनाधीन है । प्रस्तुत ग्रन्थ में राजकिशोर मणि त्रिपाठी द्वारा रचित राघवेन्द्रचरितम् महाकाव्य का साहित्यिक अनुशीलन किया गया है । इस पुस्तक में भगवान राम के विविध चारित्रिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए काव्यशास्त्रियों द्वारा दिए गए काव्यशास्त्र के गुणों के आधार पर राघवेन्द्रचरितम् महाकाव्य का महाकाव्यत्व सिद्ध किया गया है । इस पुस्तक में राघवेन्द्र चरितम् के विभिन्न संस्करणों एवं प्रकाशित टीका का विश्लेषण किया गया है ।
  3. आपकी तृतीय पुस्तक "माघ एवं भारत का राजनीतिक चिन्तन" शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है । यह पुस्तक लगभग 300 पृष्ठों की है । इसमें माघ एवं भारवि के राजनीतिक चिन्तन के अन्तर्गत राजा, सेनापति, गुप्तचर, रथ, सेना, पैदल सेना, हस्ती सेना, युद्ध वर्णन, अस्त्रशस्त्र आदि का उल्लेख किया गया है।

(आपका पत्राचार का पता है - डॉ तरुण कुमार शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत विभाग अतर्रा पीजी कॉलेज अतर्रा बांदा 210201 तथा स्थानीय पता है - गांव मरहला पोस्ट भूरे का जिला मथुरा उत्तर प्रदेश 281205 । आपका संपर्क सूत्र 9839161746 है ।)