20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. ओम प्रकाश शास्त्री
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जन्म 02 मार्च 1965
जन्म स्थान ललितपुर
स्थायी पता
ग्राम ललितपुर ,उत्तर प्रदेश

डॉ. ओम प्रकाश शास्त्री

डॉ. ओम प्रकाश शास्त्री का जन्म 2 मार्च 1965 में उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में हुआ था । आपके पिता का नाम श्री शम्भूदयाल शर्मा तथा माता श्रीमती अवध देवी थी।

आरम्भिक शिक्षा के उपरान्त आप वाराणसी आ गए । यहाँ से आपने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से पूर्व मध्यमा (हाईस्कूल) सन् 1979 में द्वितीय श्रेणी में पास किया । सन् 1981 में आपने उत्तर मध्यमा (इंटरमीडिएट) की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में सन् 1981 में उत्तीर्ण की । यहीं से आपने सन् 1983 में नव्य व्याकरण, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी विषयों के साथ शास्त्री बी.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । सन् 1986 में आपने सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय से ही नव्यव्याकरण में आचार्य की उपाधि विश्वविद्यालय में सर्वोच्च अंकों के साथ स्वर्ण पदक के साथ प्राप्त की । सन् 1988 में आपने बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में प्रथम श्रेणी में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की । विश्वविद्यालय से सन् 1997 में आपने शोध उपाधि (विद्यावारिधि) की उपाधि प्राप्त की ।

डॉ. शास्त्री व्याकरण के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वान् हैं । उनका संस्कृत भाषा का ज्ञान शुद्ध तथा अपरिमित है। आप वेद, व्याकरण, साहित्य, दर्शन, ज्योतिष, कर्मकांड आदि विविध विषयों के प्रकांड विद्वान हैं । आप की वेशभूषा देखकर ही लोग सहज ही इनसे प्रभावित हो जाते हैं । सफेद धोती कुर्ता, सदरी, सिर पर गांधी टोपी, माथे पर तिलक, उज्जवल मुख कान्ति आपकी निजी पहचान है । आप शुद्ध उच्चारण के पक्षपाती हैं । संस्कृत के विद्यार्थी में उच्चारण दोष नहीं होना चाहिए, ऐसा वे सदैव ही कहा करते हैं । डॉ. ओम प्रकाश शास्त्री सन् 1989 से अद्यतन नेहरू महाविद्यालय ललितपुर में अध्यापन कार्य कर रहे हैं । आपके शिष्यों में डॉ. मीना अवस्थी, डॉ. सुमन शर्मा, डॉ. मनमोहन सिंह, डॉ. श्रीधर बारीक, डॉ. मिथिलेश त्रिपाठी, डॉ. घनेंद्र साहू, डॉ. केशभान राय तथा डॉ. कोमल सिंह यादव आदि हैं ।

विद्याध्ययन व विद्यादान में सदैव तत्पर शास्त्री अध्यापन के लिए समर्पित विद्वान हैं । अपने अध्यापन के अतिरिक्त आप महाविद्यालय में विभिन्न प्रशासनिक कार्यों में भी सहयोग करते रहते हैं । ‌ विभागीय दायित्व के अतिरिक्त आप उत्तर प्रदेश भारत स्काउट गाइड जनपद ललितपुर में जिला कमिश्नर के पद पर सन् 2006 से अद्यतन सेवा दे रहे हैं । आप 20 वर्षों से लगातार उत्तर प्रदेश भारत स्काउट गाइड जनपद ललितपुर के प्रभारी रोवर्स रेंजर्स हैं । राष्ट्रीय सेवा योजना में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में आपका 8 वर्ष का अनुभव है । इसके अतिरिक्त महाविद्यालय की विभिन्न समितियों में निर्माण समिति, शोध प्रोत्साहन समिति, पुस्तकालय समिति, प्रधान संपादक, एंटी-रैंगिग समिति, मुख्य अनुशासन अधिकारी, क्रय विक्रय समिति में आप संयोजक की भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं । आपके कुशल प्रशासन के कारण ही आपने सन् 2012 में महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य पद को भी संभाला है । संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु आप विभिन्न शोध परियोजनाओं में भी रत हैं। आपकी प्रथम शोध परियोजना -

1. "संस्कृत संभाषण प्रयोग" विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली से स्वीकृत हुई थी ।

2. आपके प्रयास से "अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केंद्र" परियोजना राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली से जुलाई

     2016 से जून 2017 में स्वीकृत हुई ।

3. "संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला" यह योजना भी राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली से स्वीकृत है।

रचनाएँ-

डॉ. शास्त्री द्वारा लिखित 8 पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं । सन् 2010-11 में आपकी 3 पुस्तकें प्रकाशित हुईं । यह तीनों पुस्तकें साहित्य दर्शन पर आधारित हैं ।

  1. "शक्ति स्वरूप एवं शाक्त सिद्धान्त"
  2. "आचार्य कुमारिल भट्ट एवं प्रभाकर मिश्र की दार्शनिक विचारधाराएँ" तथा
  3. "भावकुतूहलम्" ।
  4. "संस्कृत साहित्य में भारत की एकता एवं अखण्डता"। यह पुस्तक भारतीय संस्कृति की अविरल धारा, संस्कृत साहित्य की मन्दाकिनी से प्रभावित है, इस धारणा को धारण करती है । इसमें विभिन्न विद्वानों के लेख संस्कृत साहित्य में भारत की एकता और अखण्डता विषय पर लिखे गए हैं जो कि 2012 में निर्मल पब्लिकेशन्स दिल्ली से प्रकाशित है ।
  5. "दस महाविद्या" सन् 2016 में प्रकाशित।
  6. "श्रीमद्भागवत महापुराण में विष्णु सिद्धान्त एवं वैष्णव दर्शन" । सन् 2016 में प्रकाशित।
  7. "आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों में मानव मूल्य" । यह पुस्तक क्रिसेन्ट पब्लिशिंग कारपोरेशन दिल्ली से 2017 में प्रकाशित है । 
  8. "मनु एवं पर्यावरण" क्रिसेन्ट पब्लिशिंग कारपोरेशन दिल्ली से 2018 में प्रकाशित पुस्तक है।

इसके अतिरिक्त विभिन्न संगोष्ठियों एवं विचारगोष्ठियों में आपकी सहभागिता रहती है । आपने अब तक 20 से अधिक शोध पत्रों का वाचन किया है । विभिन्न राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में आपके शोध लेख प्रकाशित होते रहते हैं ।

आप के निर्देशन में 8 छात्र छात्राओं ने विद्यावारिधि की उपाधि प्राप्त की है तथा 10 विद्यार्थी आप के निर्देशन में शोध कार्य कर रहे हैं । डॉक्टर शास्त्री अपने विषय के धुरन्धर विद्वान् हैं । उनकी ओजपूर्ण वाणी और मधुर कंठ से लयबद्ध वैदिक मंत्रों का उच्चारण एवं लोक गायन से कड़वा, सूखा वातावरण भी सरस वातावरण में परिवर्तित हो जाता है । डॉ. शास्त्री सीधे, सरल, सद्भावपूर्ण समभाव से सभी की सहायता करने वाले, सहज व्यक्तित्व के स्वामी हैं । उन जैसा विद्वान् श्रद्धा के योग्य है ।