20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
आचार्य सत्यदेव शास्त्री
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जन्म 15 अक्टूबर 1930
जन्म स्थान ग्राम पश्चिम भैंसवली
स्थायी पता
ग्राम पश्चिम भैंसवली ,बड़हलगंज

आचार्य सत्यदेव शास्त्री

आचार्य सत्यदेव शास्त्री का जन्म गोरखपुर जनपद के बड़हलगंज कस्बे के पश्चिम भैंसवली नामक ग्राम में 15 अक्टूबर 1930 ई० को हुआ था । आपके पिता का नाम शिवसरन चौबे था ।

प्रारम्भिक शिक्षा बड़हलगंज व माध्यमिक शिक्षा जुबली इंटर कॉलेज गोरखपुर से तथा काशी विद्यापीठ वाराणसी से शास्त्री एवं आचार्य  की शिक्षा ग्रहण की ।

1928 में देवरिया (बरहज) स्थित श्री कृष्ण इंटर कॉलेज में अध्यापन प्रारम्भ किया । 1930 में गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में अध्यापन करते हुए स्वतन्त्रता आन्दोलन से भी जुड़ गए । 1931 में आन्दोलन करते समय गिरफ्तार कर नैनी जेल इलाहाबाद में रखे गए  । जेल से निकलने के बाद 1934 से 1939 तक गांधी जी के साथ रहे तथा वर्धा के ही कन्या इंटर कॉलेज में पुनः अध्यापन किया तथा साबरमती आश्रम गुजरात में भी महात्मा गाँधी के प्राइवेट सेक्रेटरी रहे । 1939 में काशी विद्यापीठ वाराणसी में प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए । 1945 तक वहाँ रहे । पुनः 1948 में आपने गोरखपुर जनपद के प्रथम जिला परिषद् अध्यक्ष बनकर राजनीति में प्रवेश किया। अनेक विदेश यात्राएँ करते हुए उन्होंने छुआछूत के विरोध में भी आन्दोलन किया, जिससे क्षेत्रीय लोगों ने उन्हें "चमरा शास्त्री" की उपाधि दे दी ।‌1957 में चुनाव हार जाने के बाद राजनीति से संन्यास ले कर पुनः विदेश यात्राएँ की । 1960 में अपने पैतृक ग्राम में 'प्रज्ञान आश्रम' की स्थापना की । आज उसकी स्थिति जर्जर है ।‌ यहाँ विदेशी छात्र अध्ययन के लिए आते थे और वर्षों यहीं रहकर अध्ययन करते थे। आप दर्शन, अध्यात्म, वेद-वेदांग के प्रकाण्ड पण्डित थे ।

रचनाएँ-

आचार्य सत्यदेव शास्त्री की रचनाओं का विवरण निम्नवत् है।

  1. आपकी "गीता दर्शन की पृष्ठभूमि" प्रथम प्रकाशित कृति है, जो जेल में लिखी थी ।
  2. "तेलंगाना का किसान आन्दोलन" द्वितीय कृति है जो राजनीतिक जीवन में लिखी थी।
  3.  "आञ्जनेय चरित" 1961-62 में ज्ञान मण्डल लिमिटेड वाराणसी से प्रकाशित है ।
  4.  "ईशावास्य रहस्य" उत्तर प्रदेश हिंदी समिति ने 1964-65 में प्रकाशित की थी । इसके अंग्रेजी अनुवाद भी बाद में हुए ।
  5. "आत्मानुभूति" (Self knowing) नामक एक विचार संग्रह 1977 में प्रकाशित हुआ, जिसमें 'ए सेंट्रल टीचिंग ऑफ गीता, मृत्युमहोत्सव' और हनुमन्त चरित रचनाएँ हैं ।
  6. 'कठोपनिषद्' नामक अन्तिम रचना 1973-74 में लिखी तथा 1976 में कानपुर से प्रकाशित हुई ।

इसके अतिरिक्त लगभग 50 शोध पत्र अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं ।

सादा जीवन जीते हुए 5 जनवरी 1984 को आपका गोलोकवास हो गया ।