20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. नवलता
जन्म 10 जून 1955
जन्म स्थान लखनऊ
मोबाइल नंबर
9451077286
स्थायी पता
के-680, आशियाना कॉलोनी, कानपुर रोड, लखनऊ 226012

डॉ. नवलता

डॉ. नवलता का जन्म लखनऊ के एक मध्यमवर्गीय कायस्थ परिवार में 10जून 1955 को हुआ था। पिता श्री शिवशङ्कर श्रीवास्तव रेलडाक व्यवस्था में कार्यरत थे। साथ ही वे हिन्दी व संस्कृत के अध्येता तथा हिन्दी कवि थे। उनके प्रकाशित ग्रन्थ भारतभाग्य (खण्डकाव्य), शङ्कराचार्यकृत चर्पटपञ्जरी तथा प्रश्नोत्तरी का काव्यानुवाद, अवधी-खड़ीबोली मानसकोश, श्रीमद्भगवद्गीता का सरसकाव्यानुवाद तथा अन्तर्नाद हैं। माता श्रीमती अञ्जना श्रीवास्तव सुशिक्षित, सरल, उदार प्रबुद्ध महिला थीं।1985 में श्री शीतल प्रसाद वर्मा से आपका विवाह हुआ जो शिक्षक पद से सेवानिवृत्ति के संस्कृतसेवा में रत हैं। नवलता जी की पुत्री आयु. आर्षी प्रबन्धनशास्त्र तथा पुत्र चि. अञ्चित विधिशास्त्र की उच्च शिक्षा प्राप्त कर के कार्यरत हैं। इनका परिवार संस्कृतभाषी है।

माता-पिता से आरम्भिक शिक्षा प्राप्त कर डॉ. नवलता ने मालवीय नगर, लखनऊ की प्राथमिक पाठशाला, यशोदा रस्तोगी कन्या इण्टर कॉलेज, महिला कॉलेज, लखनऊ तथा लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। लखनऊ विश्वविद्यालय से1975 ई. में संस्कृत में प्रथम श्रेणी में एम. ए. तथा 1983 मैं पीएच. डी. उपाधि प्राप्त की। 1977 में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से साहित्य तथा 1980 में प्राचीन व्याकरण में आचार्य (दोनों प्रथम श्रेणी) उपाधि प्राप्त की। गुरु परम्परा में डॉ. विद्या सिन्हा, डॉ. शकुन्तला बहादुर, प्रो. उमेश प्रसाद रस्तोगी (शोधनिर्देशक) तथा आचार्य धर्मानन्द शास्त्री (व्याकरण, वेद तथा दर्शनाचार्य) उल्लेखनीय हैं। शिष्य परम्परा में डॉ. प्रदीप कुमर दीक्षित (एसोसिएट प्रोफेसर), डॉ. योगेश कुमार मिश्र (प्रधानाचार्य, जनता इण्टर कॉलेज,कानपुर देहात), डॉ. चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी (प्रवक्ता), डॉ. प्रभा शङ्कर शुक्ल वरिष्ठ शिक्षक आदि हैं।

इन्होंने श्री शिवप्रसाद संस्कृत महाविद्यालय, लखनऊ, संस्कृत पाठशाला इण्टर कॉलेज, लखनऊ तथा  आर्य कन्या महाविद्यालय, हरदोई में प्रवक्ता पद पर कार्य करने के पश्चात् विक्रमाजीत-सिंह-सनातन-धर्म महाविद्यालय, कानपुर से (30 वर्ष से अधिक कालावधि तक एसोसिएट प्रोफेसर/संस्कृतविभागाध्यक्ष पद पर कार्य करते हुये) 2017 में सेवानिवृत्त हुईं। आपने 12 पीएच. डी. तथा लगभग 20 लघुशोधों का निर्देशन किया है। सेवानिवृत्ति के पश्चात् लगभग 5 वर्ष उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान की मानित सदस्या रहीं। निरन्तर अनेक साहित्यिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक संस्थाओं से सक्रियतया सम्बद्ध रहीं। 

कर्तृत्व-

प्रत्यूषम् (संस्कृत कवितासङ्ग्रह), संस्कृतसाहित्ये जलविज्ञानम्, संस्कृतवाङ्मये कृषिविज्ञानम्, मेधामन्थः, स्वस्ति संस्कृतव्याकरण,  मेरे रूप अनेक, व्यक्तबीज, जीवनपाथेय, रेलपथ पर, अनुक्तकथा, भारतीयदर्शनों में सम्बन्धविमर्श (मौलिक), संस्कृतसाहित्ये महिलानां योगदानम्, दर्शनतत्त्वविमर्शः, जयन्तु कुमाउँनीयाः, मानसकोश, अन्तर्नाद तथा श्रीगीतामृतम्  (सम्पादित) तथा महामनीषी आचार्यरघुवीरः (अनूदित) (कुल 18) प्रकाशित ग्रन्थ हैं। पृथिवी, स्रोतोवहा, पुत्रोऽहं पृथिव्याः तथा किन्नरकथा (अनूदित) शीघ्र प्रकाश्य। इसकेअतिरिक्त लगभग 150 शोधनिबन्ध तथा वैचारिक लेख, अनेक संस्कृत एकांकी, कथाएँ आदि आपने लिखी हैं।

प्राप्त सम्मान-डॉ. नवलता को दिल्ली-संस्कृत-अकादमी, उत्तरप्रदेश-संस्कृत-अकादमी, उत्तराखण्ड-संस्कृत-अकादमी, भारतीय-शिक्षण-मण्डल सहित अनेक संस्थानों से से 30 से अधिक राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।

पता- के-680, आशियाना कॉलोनी, कानपुर रोड, लखनऊ 226012

ईमेल- navlata.sd@gmail.com

मोबाइल-9451077286