20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. चन्द्रकान्त दत्त शुक्ल
जन्म 15 नवम्बर 1982
जन्म स्थान ग्राम - परिगवॉं, जनपद- सिद्धार्थनगर
मोबाइल नंबर
8318867067
स्थायी पता
ग्राम - परिगवॉं, तहसील- शोहरतगढ़, जनपद- सिद्धार्थनगर

डॉ. चन्द्रकान्त दत्त शुक्ल

डॉ. चन्द्रकान्त दत्त शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती मण्डलान्तर्गत सिद्धार्थनगर जनपद के परिगवॉं ग्राम में सरयूपारीण पंक्तिपावन गर्ग गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में 15 नवम्बर 1982 को हुआ है। इनके पिता श्री दामोदर दत्त शुक्ल एवं माता श्रीमती रजनी देवी शुक्ला एक धर्मपरायण सद्गृहस्थ थीं।

गाँव से ही प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद अग्रिम शिक्षा हेतु विश्रुत विद्वान् यशःशेष आचार्य श्रीपति राम त्रिपाठी जी के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से पारम्परिक रूप से संस्कृत शिक्षा प्राप्त करने के लिये काशी आये। यहाँ सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा के साथ नव्यव्याकरण में विद्यावारिधि (पी0एच-डी0) उपाधि प्राप्त की है। महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ से एम0ए0 एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार से शिक्षाशास्त्री हैं।

संस्कृत भारती, विश्वसंस्कृतप्रतिष्ठानम् एवं सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थानम् वाराणसी से संस्कृत भाषा प्रशिक्षण के साथ परम श्रद्धेय डॉ0 उमाकान्त चतुर्वेदी जी सम्प्रति आचार्य साहित्य विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं प्रातःस्मरणीय पं0 वासुदेव द्विवेदी जी से प्रचार प्रसार की भी प्रेरणा मिली फलतः गुरुजनों एवं सहपाठी मित्रों के आग्रह, सुझाव एवं सहयोग से 1999 में चातुर्वेद संस्कृतप्रचार संस्थानम् का गठन किया और तब से अद्यतन संस्कृत के प्रचार प्रसार में संलग्न हैं।    

डॉ0 शुक्ल सम्प्रति शासकीय उच्च शिक्षा उत्तरप्रदेश शासन, ( समूह क - राजपत्रित ) में सन्त गणिनाथ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जनपद- मऊ में ‘सहायक आचार्य संस्कृत’ पद पर कार्यरत हैं।

अन्य धारित दायित्व -

श्री काशी विद्वत् परिषद् में 2017 से अद्यतन जन सम्पर्क अधिकारी एवं सदस्य एवं चातुर्वेद संस्कृतप्रचार संस्थानम्, वाराणसी के संस्थापक सदस्य हैं।

संस्कृत प्रचार कार्य-

1999 से अद्यतन उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखण्ड, जम्मू, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, झारखण्ड, सिक्किम सहित भारत के अनेक राज्यों एवं नेपाल आदि में संस्कृत प्रचार-प्रसार एवं शास्त्र संरक्षण अभियान चलाते रहते हैं।

संस्कृत सम्भाषण शिविर, अनुवाद शिक्षण, शास्त्र शिक्षण, ’संस्कृत शोभायात्रा ’भारत भारती यात्रा, ’सारस्वत यात्रा, संस्कृत प्रचार यात्रा ’भारतीय वैभवज्ञान परीक्षा, प्रतियोगिता, ’संस्कृत सम्मेलन, ’कार्यशाला ’सङ्गोष्ठी, लेखन ’सम्पादन एवं प्रकाशन कार्यों में सक्रिय रहते हैं।

लेखन एवं सम्पादन -

1- श्लोकसंग्रहः (बाल अन्त्याक्षरी संग्रह )2- सम्भाषण दिग्दर्शिका 3- सुभाषितामृतम् 4- भारतीयवैभव ज्ञानमाला (चार भाग), 5- शब्दसामर्थ्यम् - (शब्दकोष) 6- अमरवाणी, 7- प्रशस्ति (सम्पादक),  9- शब्दार्णव, वेदाञ्जलि अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यांकित षाण्मासिकी शोधपत्रिका सहायक सम्पादक,  10 - भारतीय उज्जवल ज्ञान परम्परा, 11- संस्कृतवाङ्मये मर्यादापुरुषोत्तमः श्रीरामः 12- राष्ट्रगौरव एवं पर्यावरण, 13- कोविड १९ के परिप्रेक्ष्य में भारतीय बौद्धिक एवं सांस्कृतिक चिन्तनधारा (सम्पादक) आदि मुख्य हैं।


पुरस्कार

1- युव प्रतिभा सम्मान - अखिल भारतीय विद्वत् परिषद्, वाराणसी, उ.प्र.। 2- पं.वासुदेव द्विवेदी शास्त्री संस्कृतसेवा अलङ्करण - सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थानम्, वाराणसी, उ.प्र.। 3- वाग्मिता सारस्वत सम्मान - गीता ज्ञान संचरण समिति पटना बिहार। 4. वाग्योग राष्ट्रगौरव सम्मान -  वाग्योग चेतनापीठम् वाराणसी, उ.प्र.।