20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
पं० हरिशंकर ओझा
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जन्म 23 जून 1904
जन्म स्थान गाँव तेन्दुआ माँफी
स्थायी पता
बस्ती जनपद ,तेन्दुआ माँफी गाँव

पं० हरिशंकर ओझा

पं० हरिशंकर ओझा का जन्म 23 जून 1904 ई. को बस्ती जनपद (अब संतकबीरनगर) के चन्दहर डाक घर तेन्दुआ माँफी गाँव में हुआ था । आपके पिता का नाम पं० श्री हर्ष ओझा था । आपके पिता व्याकरण, साहित्य, ज्योतिष और धर्मशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान् थे । आपके बाबा पं० श्री केवल कृष्ण ओझा भी विद्वान् थे। आपके पितामह पं० शिवराम ओझा भी फलित ज्योतिष के अच्छे विद्वान् थे। आपके परिवार की विद्वता के कारण लोग आपके परिवार को "पण्डित बाबू" घराना कहते थे । आप पूरे जिले में पण्डित बाबू" के नाम से प्रसिद्ध थे ।

आपकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई । तत्पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आप वाराणसी गये । लेकिन जल्द ही पारिवारिक अस्वस्थता के कारण वापस चले आए ‌ । आपने उद्भट विद्वान् पं० कामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी व पं. रामभवन उपाध्याय से शिक्षा ग्रहण की ।

आप 1 जुलाई 1926 से साङवेद संस्कृत विद्यालय तामेश्वर नाथ देवरिया में शिक्षण कार्य करने लगे । 30 जून 1972 को प्रधानाचार्य पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद अपने पुत्र रामानुज ओझा के जटेपुर स्थित आवास पर आजीवन रहे। आप व्याकरण, साहित्य, न्याय दर्शन, आगम, ज्योतिष, फलित आदि के प्रकाण्ड विद्वान थे ।

"श्री शिव सूत्र व्यवस्था" ग्रन्थ स्वामी अभयानन्द सरस्वती द्वारा रचित है । स्वामी ज्ञानानंद सरस्वती ने इसे संकलित किया है । इस पुस्तक को आप ने सम्पादित किया है । यह पुस्तक विक्रम संवत् 2004 रविवार फाल्गुन त्रयोदशी (कृष्ण पक्ष) महाशिवरात्रि को प्रकाशित हुई थी । मार्कण्डेय संन्यासाश्रम, ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश द्वारा इस पुस्तक को प्रकाशित करवाया गया है । दर्शन की यह पुस्तक जो शैवागम की पूर्व प्रथित परम्परा को पुनरुज्जीवित करती है, सरल हिन्दी भाषा में उपनिबद्ध होने के कारण यह सभी श्रेणी के जिज्ञासु अधिकारीजनों के लिए उपादेय है । "कृष्णकुतूहलम्" आपकी दूसरी सम्पादित रचना है । यह ग्रन्थ मूल रूप से आचार्य मधुसूदन सरस्वती की रचना है । इसे आपने सम्पादित किया है । यह ग्रन्थ अपने ढँग का अनूठा नाटक है।

10 जुलाई 1998 को बीमारी के बाद जटेपुर स्थित अपने पुत्र रामानुज के पास रहते हुए आपका स्वर्गवास हो गया । आपके ही पुत्र डॉ. रामसुभग ओझा आपके परिवार की विद्वत् परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं।