20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
आचार्य विश्वनाथ पाठक
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया upsanskritsansthanam@yahoo.com पर भेजें

जन्म 24 जुलाई 1939
जन्म स्थान ग्राम पठखौलानामक
निधन 03 नवम्बर 2014
स्थायी पता
ग्राम पठखौलानामक अम्बेडकरनगर

आचार्य विश्वनाथ पाठक

आचार्य विश्वनाथ पाठक अम्बेडकरनगर के संस्कृत विद्वानों में शीर्ष पर गिने जाते हैं। आपका जन्म 24 जुलाई, 1939 ई. को जनपद अम्बेडकरनगर (तात्कालिक अयोध्या) के भीटी तहसील के अन्तर्गत भीटी ब्लाक के पठखौलानामक ग्राम में हुआ था। आपके पिता का नाम पं. रामप्रताप पाठक था। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा निकट की ही प्राथमिक पाठशाला में तथा माध्यमिक शिक्षा गोशाईगंज के रामबली नेशनल इण्टर कॉलेज से हुई। आपने पारम्परिक उच्च शिक्षा में साहित्याचार्य तथा आधुनिक उच्च शिक्षा में संस्कृत साहित्य से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद आपने टाण्डा के प्रसिद्ध विद्यालय होबर्ट त्रिलोकनाथ इण्टर कॉलेज में संस्कृत के प्रवक्ता पद को सुशोभित किया। इस पद पर आप 22 वर्षों तक कार्यरत रहे। आपने दो वर्षों तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पार्श्वनाथ शोधपीठ में शोध अधिकारी के रूप में भी सेवाएँ दीं। सेवानिवृत्त होने के बाद गाँव में ही आकर रहे व शेष सारा जीवन साहित्य की साधना में व्यतीत करते हुए 3 नवम्बर, 2014 को गोलोकवासी हुए। आपको हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, पालि, अपभ्रंश, अंग्रेजी, बांग्ला व गुजराती भाषाओं का अच्छा ज्ञान था।

आपके द्वारा रचित ग्रन्थों की संख्या का पूरी तरह से पता नहीं चल सका है किन्तु अनुमानित संख्या प्रायः दो दर्जन से अधिक है। इसमें विविध भाषाओं में की गई स्वतन्त्र रचनाएँ व अनुवाद भी सम्मिलित हैं। कुछ प्रकाशित व अप्रकाशित ग्रन्थों का विवरण निम्नवत् है-

कबीरशतकम् (कबीर की 100 साखियों का संस्कृत श्लोकानुवाद), गाथासप्तशती (प्राकृत से हिन्दी अनुवाद), संयुक्ता (संस्कृत काव्य), वज्जालग्ग (प्राकृत से हिन्दी में अनुवाद), ज्ञानदीप (प्राकृत से हिन्दी में अनुवाद), मात्रिकापद (प्राकृत से हिन्दी में अनुवाद), सर्वमंगला (अवधी प्रबन्धकाव्य), घर कै कथा (अवधि काव्य-अप्रकाशित)। इनमें से सर्वमंगला प्रबन्धकाव्य कई विश्वविद्यालयों के हिन्दी पाठ्यक्रम में सम्मिलित है।

पुरस्कार: आपको विभिन्न संस्थानों की ओर से अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए जिनमें से कुछ हैं- उ.प्र. संस्कृत संस्थान से वज्जालग्ग पुरस्कार, उ.प्र. संस्कृत संस्थान से गाथासप्तशती पुरस्कार, सर्वमंगला पर साहित्य अकादमी पुरस्कार

आचार्य विश्वनाथ की मात्र एक संन्तान (पुत्री) श्रीमती सुधा उपाध्याय का विवाह अयोध्या जिले के फैजाबाद शहर में हुआ। उन्हीं के साथ आचार्य के अंतिम दिन बीते और 3 नवम्बर, 2014 को आचार्य विश्वनाथ संसारयात्रा पूरी कर गोलोकधाम के वासी हुए।


पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार ,वज्जालग्ग पुरस्कार,