20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. विश्वम्भर नाथ त्रिपाठी
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जन्म 15 अप्रैल 1932
जन्म स्थान गुरुपुरम
स्थायी पता
करछना गांव ,गुरुपुरम इलाहाबाद

डॉ. विश्वम्भर नाथ त्रिपाठी

डॉ. विश्वम्भर नाथ त्रिपाठी का जन्म 15 अप्रैल 1932 ई० को इलाहाबाद के करछना के गुरुपुरम नामक गांव में हुआ था । माता सीता देवी एवं पिता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी थे जो संस्कृत के विद्वान् थे । आप चार भाई थे । आपकी दो पुत्रियाँ हैं । प्रथम श्रीमती सुधा विश्वविन्दु गो०वि०वि० में कार्यरत हैं । आपकी पत्नी श्रीमती बिन्दुमती त्रिपाठी हैं ।

आप आरम्भ से ही पढ़ाई में मेधावी रहे, आपको इण्टरमीडिएट में अच्छे छात्र का प्रमाण पत्र भी मिला । आपने स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षा में गोल्ड मेडल प्राप्त किया ।

आपने एक वर्ष तक इलाहाबाद में एक महाविद्यालय में अध्यापन कार्य किया । 1958 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रवक्ता के रूप में कार्य प्रारम्भ किया फिर रीडर एवं प्रोफेसर हुए । गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर बी. एन. झा ने आपके अच्छे व्यक्तित्व का प्रमाण पत्र दिया है ।

आपको जो पैसे मिलते थे उसमें 80 फीसदी पैसों से आप किताब खरीद लेते थे । आपकी सबसे अच्छी विशेषता में थी कि आप संस्कृत विद्वान् होते हुए भी जातिवाद के कट्टर विरोधी थे । आपने फैकेल्टी टॉप करने, मुद्राराक्षस नाटक के अभिनय एवं निबन्ध व वाद-विवाद प्रतियोगिता में कुल सात मेडल प्राप्त किये थे । इसमें 6 गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल था ।

रचनाएँ - आपकी तीन रचनाएँ हैं -

1. चन्द्रालोक सुधा - चन्द्रालोक पंचम मयूख पर हिन्दी व्याख्या ।

2. अग्निचयनम् - पी०एच०डी० शोध ग्रन्थ ।

3. कादम्बरी कथामुख - संस्कृत टीका के सहलेखक के सहयोग से ।

6 जनवरी 1990 को इलाहाबाद में अपनी छोटी बहन के यहां 9.30 बजे ब्रेन हेमरेज से आपका स्वर्गवास हो गया ।