20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. यमुना राम त्रिपाठी
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जन्म स्थान ग्राम परासी पांडेय
उपनाम यमुनेश चातक
स्थायी पता
ग्राम परासी पांडेय सोनभद्र

डॉ. यमुना राम त्रिपाठी

डॉ. यमुना राम त्रिपाठी ने यमुनेश चातक नाम से काव्य रचना की है। संभल जनपद के प्रतिष्ठित साहित्यकारों में आपका प्रमुख स्थान है। श्री रघुनाथ आश्रम संस्कृत महाविद्यालय चन्दौसी जनपद सम्भल में 1993 ई. में शिक्षण  कार्य में नियुक्त होने से आप सम्भल से सम्बद्ध हुये और 2010 ई. में सेवानिवृत्ति तक जुड़े रहे। आपका जन्म ग्राम परासी पांडेय, पत्रालय परासी दुबे जनपद सोनभद्र में पंडित श्री शिवनाथ त्रिपाठी एवं  माता श्रीमती शृगारी देवी के घर हुआ।

आपकी प्राथमिक शिक्षा सोनभद्र से तथा उच्च शिक्षा साहित्य एवं दर्शन विषय में आचार्य तथा विद्यावारिधि (पी. एच.डी.) संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी से सम्पन्न हुई। इसके अतिरिक्त आपने आगरा विश्वविद्यालय  से एम. ए. -संस्कृत की उपाधि प्राप्त की।

अध्यापन कार्य आपने 1974 ईस्वी से प्रारंभ करके संस्कृत महाविद्यालय राबर्ट्सगंज, निर्मल संस्कृत विद्यालय चेतन मठ, विशेश्वरनाथ वाराणसी, सांगवेद संस्कृत महाविद्यालय नरौरा बुलंदशहर में 1992 तक तथा राजकीय इंटर कॉलेज ठेला-नेलचामी टिहरी गढ़वाल में अध्यापन किया। 1933 से श्री रघुनाथ संस्कृत महाविद्यालय चंदौसी जनपद संभल में प्राचार्य पद का कार्यभार ग्रहण किया और तब से शताधिक सुयोग्य शिष्यों को तैयार किया जो प्रदेश एवं देश में विभिन्न गरिमामय पदों  पर कार्यरत हैं साथ ही निरंतर उत्तम परीक्षा परिणाम देते रहे हैं। यहां 2010 तक सेवा देने के पश्चात् 2010 में ही आप वाराणसी चले गए और वहीं 2011 में अर्थात् सेवानिवृत्ति के 1 वर्ष बाद ही आप का देहावसान हो गया

अध्यापन के अतिरिक्त आप अपनी सृजनात्मक प्रतिभा के द्वारा साहित्य जगत् को निरंतर योगदान देते रहे। डॉ. त्रिपाठी ने गंगागरिमाकाव्य, पराम्बापदस्तुतिशतकम्, गंगालहरी-चातकप्रिया संस्कृत-हिंदी टीका, दशकुमारचरितम् पूर्वपीठिका-प्रदीपिका टीका सांख्या कारिका-चातकप्रिया संस्कृत-हिन्दी टीका वेदांतसार-चातकप्रिया संस्कृत-हिंदी टीका, काव्यमीमांसा-चातकप्रिया संस्कृत-हिंदी टीका, सनत्सुजातीयदर्शनक-चातकप्रिया संस्कृत-हिंदी टीका, निबंध निधिः भारतीय संस्कृतिः अभिनव  अनुवाद चन्द्रिका संस्कृत संभाषण सुधा अस्मि-संस्कृत गीत संग्रह सुलोचनालोचनम् खंडकाव्य पंचायतप्रशस्ति खंडकाव्य

विधिविवेकस्य समीक्षात्मकमध्ययनम् (शोधप्रबंध) आदि 2 दर्जन से अधिक संस्कृत ग्रंथ लिख कर साहित्य संवर्धन किया इनमें खंडकाव्य में गीतिकाव्य के अतिरिक्त प्रमुख दार्शनिक ग्रंथों की टीकायें भी सम्मिलित हैं, तथा विभिन्न छात्र उपयोगी ग्रंथ समय-समय पर टीका व्याख्या, हिन्दी व्याख्या आदि लिखते रहे।

संस्कृत के साथ-साथ डॉ. त्रिपाठी हिंदी काव्य रचना भी करते थे। जिनमें उल्लेखनीय हैं-चौखट के आर पार-गीत संकलन, तवा-तवा मन -गीत संकलन, शवशतक-खंडकाव्य, दुर्गास्तुतिशतक-खण्डकाव्य, ब्राह्मण उद्बोधन-खण्डकाव्य, गीता का पद्यानुवाद, अपने आसपास-निबंध संग्रह, बिम्बानुबिम्ब- खंडकाव्य, त्रिशूल-नाटक-एकांकी, मन्मथ महेश-खंडकाव्य, कोकिलादूत-खण्डकाव्य, नौकरी का पथिक-खण्डकाव्य तथा गोपीगीत आदि विभिन्न विधाओं में हिंदी काव्य हैं।