20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र
जन्म 02 जनवरी 1943
जन्म स्थान ग्राम द्रोणीपुर
स्थायी पता
ग्राम द्रोणीपुर ,जौनपुर

प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र

प्रो0 अभिराज का जन्म उत्तर प्रदेश जौनपुर जनपद के स्यन्दनिका नदी के तट पर स्थित द्रोणीपुर ग्राम में 2-1-1943 में हुआ। पिता पं. दुर्गाप्रसाद मिश्र एवं यशस्विनी माता अभिराज देवी के आप मध्यम पुत्र हैं। अभिराज राजेन्द्र मिश्र जी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के समीप जयहिन्द इण्टर कालेज में प्राप्त करके इसके बाद उच्चशिक्षा हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहां आपने 1962 ई. में स्नातक परीक्षा करके 1964 ई. में संस्कृत विषय में सम्पूर्ण कला संकाय में सर्वोच्च अंक के साथ स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त है।

वह 1964 तथा 1965 की समवेत परीक्षाओं में भी फैकल्टी-टाॅपर रहे तथा एतदर्थ क्वीन विक्टोरिया रजतपदक तथा पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय स्वर्णपदक से विभूषित हुए। उन्होंने अन्योक्ति के उद्भव एवं विकास पर उत्कृष्ट शोधकार्य (डी.फिल्) तथा शिमला यूनिवर्सिटी से प्रथम संस्कृत डी.लिट्. किया है।

प्रो. मिश्र ने इलाहाबाद (1960 से 90 तक लेक्चरर एवं रीडर) तथा शिमला विश्वविद्यालय (1991-2003 ई. प्रोफेसर विभागाध्यक्ष भाषासंकायाध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्य) में अध्यापन किया। इसी अन्तराल में वह दो वर्ष (1987-89) इण्डोनेशिया के बालीद्वीपीय उदयन यूनिवर्सिटी में भारत सरकार की ओर से विजिटिंग प्रोफसर भी रहे। सेवानिवृत्ति से एक वर्ष पूर्व ही, वह विश्वविख्यात सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी (22 जनवरी 2002 ई.) में कुलपति नियुक्त हुए।

रचनायें- ब्रह्मर्षि, महामहोपाध्याय, विद्यासागर तथा पण्डितरत्नादि श्रद्धेय विशदों से विभूषित तथा अर्वाचीन संस्कृत रचनाधर्मिता के नवयुगप्रवर्तक, आचार्य एवं कवि, समीक्षक एवं चिन्तक तथा काव्य-नाट्य-कथा-समीक्षाशास्त्री कवि साहित्य कलातरु प्रो. अभिराज राजेन्द्रमिश्र आज के मूर्धन्य संस्कृत रचनाकार हैं। आप ने दो विशाल महाकाव्य, तीन खण्डकाव्य, पाँच नवगीत संग्रह, सात गज़ल संग्रह, ग्यारह एकांकी संग्रह, चार नाटक नाटिका, नौ कथा संग्रह, एक उपन्यास, अट्ठारह काव्यशास्त्रीय एवं समीक्षाग्रंथ, आठ पद्यग्रंथ, बारह अनूदित एवं सम्पादित ग्रंथों का प्रकाशन कर, माँ वीणापाणि की विलक्षण सेवा की है। प्रो. मिश्र के अनेक संस्कृत ग्रंथों एवं स्फुट रचनाओं का अनुवाद हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, मलयालम बंगला, तेलगु, मराठी, डोमरी, गुजराती तथा मैथिली आदि प्रान्तीय भाषाओं में भी हो चुका है तथा उनके दर्जनों ग्रंथ अनेक विश्वविद्यालयों के बी.ए., एम.ए., शास्त्री तथा आचार्य कक्षाओं के पाठ्यक्रम में निर्धारित हैं।

प्रो. मिश्र को साहित्य अकादमी (1988) म.प्र. शासन का कालिदास-सम्मान (दो बार 1988, 1998) के.के. बिरला फाउण्डेशन का वाचस्पति-सम्मान (1993) भारतीय भाषापरिषद् कलकत्ता का कल्पवल्ली पुरस्कार (1998) म.प्र. राष्ट्रपति सम्मान (1999) उ.प्र. शासन का वाल्मीकि सम्मान (2009) विश्वभारती सम्मान, सा.अका. बालसाहित्य सम्मान (2011) सा अका. अनुवाद सम्मान (2013) के अतिरिक्त उ.प्र. (11 बार) दिल्ली प्रदेश, महाराष्ट्र (कविकुलगुरु) केरल (राजप्रभा) राजस्थान (माघ) आन्ध्रप्रदेश (वेदभारती) पश्चिम बंगाल (विद्यालंकार) का राज्य भी यथावसर प्राप्त हो चुका है। देववाणीपरिषद् का पण्डितराज सम्मान तथा श्रीराम सेवान्यास उज्जैन का विद्योत्तमा सम्मान भी मिश्र जी का गौरववर्धक है।


पुरस्कार

राष्ट्रपति सम्मान , कल्पवल्ली