20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
पं. चक्रधर मिश्र
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जन्म 16 जनवरी 1913
जन्म स्थान फखरपुर अश्वल गाँव
उपनाम राधा बाबा
स्थायी पता
फखरपुर अश्वल गाँव , गया बिहार

पं. चक्रधर मिश्र

पं. चक्रधर मिश्र का जन्म 16 जनवरी 1913 ई. को बिहार के गया जिले में फखरपुर अश्वल गाँव में हुआ । आपके पिता का नाम पं० श्री महिपाल जी मिश्र एवं माता का नाम अधिकारी देवी था । आप कट्टर वेदान्ती थे । 1936 में सन्तहृदय हनुमान प्रसाद पोद्दार ने चरण-नख छूकर आपको प्रणाम किया था । आपका हनुमान प्रसाद पोद्दार से मिलन कट्टर वेदान्ती निराकारवादी ब्रह्मनिष्ठ सन्यासी का ऐतिहासिक मिलन था । 1993 वि० अश्विन शुक्ल  11 सोमवार (26-10-1936) को आपका प्रथम आगमन गीता वाटिका गोरखपुर में हुआ आप दोनों के मिलन का प्रभाव यह रहा कि आप निराकारवादी से साकारवादी बन गए । 11 मई 1939 के दिन कोलकाता में भागीरथी के तट पर समर्पित हृदय से आपने पोद्दार जी के साथ आजीवन रहने का व्रत लिया । आप दोनों संत 11 मई से 1939 से 22 मार्च  1971 तक नित्य साथ रहे ।

आपके मात्र एक शिष्य श्री कृष्ण चन्द्र जी थे ।

आपकी मुख्यत: संस्कृत में कोई रचना नहीं है लेकिन आपके शिष्य ने कई ग्रन्थ लिखे - "जय जय प्रियतम" यह राधा-कृष्ण युक्त ग्रंथ है। "केलिकुन्ज" इस ग्रंथ में भावुक व्यक्ति की भाव साधना में सहायता देने के लिए ब्रजभाव जो सरस वह मधुर है उसी का यह संग्रह है। इसके अतिरिक्त आपने श्री कृष्ण लीलाचिन्तन, सत्संग सुधा, प्रेम सत्संग सुधा मालो तथा महाभागा ब्रजदेविया आदि पुस्तकें भी आपकी बतायी जाती हैं।

आप गोरखपुर गीता वाटिका संतसाधना के क्रम में अक्टूबर 1992 ई. को प्रातः साढ़े 8‌ बजे लीला लीन हो गए । आपके विग्रह की प्रतिष्ठा गीतावाटिका गोरखपुर में 12 सितंबर 1994 को हुई । इसके 6 दिन बाद उस महान मूर्तिकार का क्षय रोग से आकस्मिक निधन हो गया ।