20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ.हरिनारायण दीक्षित
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जन्म 13 जनवरी 1936
जन्म स्थान ग्राम-पड़कुला
स्थायी पता
ग्राम-पड़कुला, पोस्ट-सरावन, जनपद-जालौन

डॉ.हरिनारायण दीक्षित

हरिनारायण  दीक्षित का नाम जनपद जालौन में ही नहीं, अपितु संस्कृत जगत् में विश्रुत है। अनेकों रचनाओं व पुरस्कारों से समलंकृत दीक्षित जी का परिचय लिखना ठीक वैसा ही होगा, जैसे-प्रांशुलभ्ये फले लोभादुद्वाहुरिव वामनः। पंडित शिरोमणि डॉ. हरिनारायण दीक्षित जी का जन्म 13 जनवरी, 1936 को ग्राम-पड़कुला, पोस्ट-सरावन, जनपद-जालौन में हुआ था। आपके पिता का नाम स्वर्गीय पंडित श्री रघुवीर सहाय दीक्षित एवं माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती सुदामा देवी दीक्षित था।

आपकी प्रारंभिक शिक्षा-प्राथमिक पाठशाला, पड़कुला में ही हुई। उच्चशिक्षा हेत आपने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में प्रवेश लिया। वहां से आपने व्याकरण, सांख्य-योग तथा साहित्य विषयों से आचार्य की उपाधि प्राप्त की। साहित्यरत्न की उपाधि हिंदी तथा संस्कृत विषय को आधारित कर आपने हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से प्राप्त की। आधुनिक शिक्षा पद्धति से बी.ए. , एम.ए. तथा पीएच. डी. की उपाधि आगरा विश्वविद्यालय से ‘‘ तिलकमंजरी: एक समीक्षात्मक अध्ययन’’ इस विषय पर प्राप्त की। डी. लिट्. की उपाधि आपने कुमायूँ विश्वविद्यालय, नैनीताल,  (उत्तराखण्ड) से ‘‘संस्कृत साहित्य में राष्ट्रीय भावना’’  विषय पर प्राप्त की।

श्रीहरिनारायण दीक्षित जी का विवाह सन् 1950 में श्रीमती विद्यावतीजी से हुआ। आप के 1 पुत्र है, जिनका नाम श्री रमाकांत दीक्षित है।

दीक्षित जी ने यथावसर अनेकों संस्थाओं में अध्यापन कार्य किया। यथा- 1. सीताराम जयराम संस्कृत महाविद्यालय, उन्नाव 2. श्री आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, उरई, जालौन 3. बरेली कॉलेज, बरेली 4. श्री काशी नरेश राजकीय महाविद्यालय, वाराणसी 5. राजकीय महाविद्यालय टिहरी, नैनीताल 6. डी.एस. बी. महाविद्यालय, नैनीताल 7. कुमायूँ विश्वविद्यालय नैनीताल। इस प्रकार आपने लगभग 40 वर्षों तक अध्यापन कार्य किया।

गुरु/शिष्य परम्परा- दीक्षित जी की गुरु पंरपरा में आचार्य विश्वनाथ शुक्ल, पंडित राजाराम शास्त्री , पंडित बैकुंठनाथ शास्त्री, पंडित चंद्रशेखर शास्त्री आदि गुरुवृन्द प्रमुख हैं। आपकी शिष्य परम्परा भी अत्यंत समृद्ध रही है। जिनमें कुछ शिष्य प्रमुख हैं-डॉ. किरण टण्डन, कुमायूँ विश्वविद्यालय, नैनीताल डॉक्टर शालिग्राम शास्त्री (पूर्व प्रवक्ता, गाँधी इण्टर कॉलेज, उरई), डॉ. राम बहादुर शास्त्री (संस्कृत प्रवक्ता, वेत्रवती इंटर कॉलेज, जालौन), डॉ सत्यनारायण बुधौलिया (पूर्व प्राचार्य/प्रवक्ता, एस. आर. पी इंटर कॉलेज, कोंच जालौन) इत्यादि। अध्यापन कार्य के दौरान लगभग 55 छात्रों ने पीएच.डी. की उपाधि आप के निर्देशन में प्राप्त की। इस प्रकार आप सतत छात्रों के उन्नयन हेतु प्रयत्नशील रहे।

कृतित्व परिचय-आपने कुल 31 ग्रंथों की रचना की। जिनमें 27 मौलिक, 3 संपादित एवं 1 अनुदित हैं। ये रचनाएं हैं-

1. संस्कृतानुवाद कलिका 2. संस्कृतनिबन्ध रश्मिः 3. श्रीमदप्पयदीक्षित चरितम् (गद्यकाव्य) 4. तिलकमंजरीः एक समीक्षात्मक अध्ययन 5. राष्ट्रीय सूक्तिसंग्रह (कोशकाव्यम्) 6. संस्कृत साहित्य में राष्ट्रीय भावना 7. मेनकाविश्वामित्रम् (नाटकम्) 8. संस्कृत निबंधावली 9. शोध लेखावली 10. श्रीहनुमद्दूतम (संदेशकाव्य) 11. गोपालबंधुः (गद्य काव्यम्) 12. गद्य काव्य समीक्षा 13. भीष्म चरितम् (महाकाव्य) 14. देशेऽयं कुरुते प्रोन्नतिम् (मुक्तककाव्य) 15. उपदेशशती (शतकाव्य) 16. भारतीयकाव्यशास्त्र-मीमांसा (सहसंपादित) 17. पंडितराजजगन्नाथकाव्यग्रंथावली (संपादित और अनुदित) 18. गुरुकुल काङ्गड़ी विश्वविद्यालयीयम्  (खंडकाव्य) 19. भारतमाता ब्रूते (महाकाव्य) 20. राधाचरितम् (महाकाव्य) 21. बुंदेलखण्डीकवि पंडितराजाराममिश्र काव्यसंग्रह (संपादित) 22. श्रीग्वल्लदेव चरितम् (महाकाव्य) 23. पशुपक्षिविचिन्तनम् (खंडकाव्य) 24 मनुजाः शृणुत में गिरः (मुक्तककाव्य) 25. अजमोहभङ्गम् (खंडकाव्य) 26. निर्वेदनिर्झरिणी (कथाकाव्यम्) 27. वाल्मीकिसंभवम् (दृश्यकाव्यम्) 28. दुर्जनाचरितम् (काव्यम्) 29. सज्जनाचरितम् (काव्यम्) 30. श्रीगुरुमहाराजचरितम् (महाकाव्य) 31. इदमपि शृणुत सखायः (मुक्तककाव्यम्)

इसके अतिरिक्त आपने 80 से भी अधिक शोधपत्र तथा 60 से भी अधिक लेखो  लिखा है (यह संख्या अनुमानित है।) जो विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।

संस्कृत साहित्य के संवर्धन एवं प्रचार-प्रसार हेतु आपको अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं-उत्तर प्रदेश  संस्कृत अकादमी लखनऊ से 1. सन् 1987ईस्वीं में श्री हनुमद्दूतम् के लिए विशेष पुरस्कार 2. सन् 1988 ईस्वी में गोपालबंधु; के लिए बाणभट्ट पुरस्कार एवं 3. सन् 1991 ई. में भीष्मचरितम् के लिए विशेष पुरस्कार 4. तब तक की समग्र संस्कृत काव्यसर्जना के लिए भारतीय भाषा परिषद कोलकाता से सन् 1991 में संस्कृत साहित्य सम्मान पुरस्कार 5. भीष्मचरितम् के लिए साहित्य अकादमी, दिल्ली से सन् 1992 ईस्वीं में साहित्य अकादमी पुरस्कार 6. संस्कृत साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए भारत सरकार से सन् 2003 ईस्वी में राष्ट्रपति पुरस्कार 7. लोक संस्कृति सेवानिधि मंडपम् उरई, जिला-जालौन उत्तर प्रदेश से सन् 2006 ईस्वी में पं. गौरीशंकर द्विवेदी ‘शंकर’ अलंकरण पुरस्कार 8. भीष्मचरितम् के लिए रामकृष्ण जयदयाल डालमिया श्रीवाणी न्यास, नई दिल्ली से सन् 2006 ईस्वीं में ‘श्रीवाणी अलंकरण, पुरस्कार 9. गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार से 2007 ईस्वी में अन्ताराष्ट्रीय विद्यारत्नाकर सारस्वत सम्मान 10. राधाचरितम् के लिए के.के बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली से सन् 2008  में  वाचस्पति पुरस्कार 11. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी,नैनीताल से ईस्वी सन् 2010 में शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सारस्वत सम्मान पुरस्कार

12. श्रीवल्लदेवचरितम् के लिए उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ से सन् 2014 ईस्वी में सन् 2009 ईस्वी का कालिदास पुरस्कार इत्यादि अन्य अनेको पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

आप हिंदी, संस्कृत के साथ-साथ आंग्ल भाषा के भी विद्वान थे। आप व्याकरण, साहित्य एवं दर्शन के क्षेत्र के विशेषज्ञ के रूप में विख्यात थे। आप कुमायूँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के संस्कृत विभाग में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष तथा अधिष्ठाता, कला संकाय के रूप में कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए थे। दुर्दैववशात् मार्च 2019 में आप का स्वर्गवास हो गया।


पुरस्कार

कालिदास पुरस्कार