20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
बालमुकुंद शास्त्री
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया upsanskritsansthanam@yahoo.com पर भेजें

जन्म 19 मार्च 1906
जन्म स्थान ग्राम व पो. ऐर
निधन 11 अगस्त 1977
स्थायी पता
ग्राम व पो. ऐर, तहसील-उरई,जिला-जालौन

बालमुकुंद शास्त्री

पण्डित बालमुकुंद शास्त्री का जन्म दिनांक 19 मार्च, 1906 को ग्राम व पो. ऐर, तहसील-उरई,जिला-जालौन में हुआ था। आपके पिता का नाम पं. रामनाथ त्रिपाठी था। आपकी माता एक धर्मपरायण गृहणी थीं।

आपके 2 विवाह हुए। प्रथम पत्नी की शीघ्र मृत्यु के बाद दूसरा विवाह लगभग 1932 ईसवीं में हुआ था। आपकी द्वितीय पत्नी स्व. शांति देवी शास्त्री से बहुत ही सुयोग्य और विभिन्न पदों पर रहे । 2 पुत्र और विदुषी 4 पुत्रियां हुईं। प्रथम पुत्र श्री रविंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ अधिवक्ता, समाजसेवी एवं ज्योतिर्विद् हैं। द्वितीय पुत्र डॉ. राजीव कुमार त्रिपाठी, सेनानिवृत्त, चिकित्साधिकारी उरई रहे। पुत्रियों में श्रीमती प्रतिमा रावत, श्रीमती प्रतिभा रावत (IAS) डॉ. प्रियंवदा अय्यर (पति-स्व. डॉ. टी. आर. अनंतरामन् अय्यर) एवं चतुर्थ पुत्री डॉ. प्रमिला त्रिपाठी (सेवानिवृत्त, प्रवक्ता SCERT नई दिल्ली) हैं।

आप की आरंभिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला डकोर, जालौन और उसके बाद पूर्व मध्यमा से लेकर शास्त्री (1928-30) ज्योतिष विषय के साथ संस्कृत पाठशाला, कोच, जालौन से संपन्न हुई। आप एक अच्छे शास्त्रज्ञ पांडित्य कर्म के ज्ञाता के साथ-साथ ज्योतिर्विद् भी माने जाते थे।

पिता से मिले संस्कारों और ज्ञान का प्रयोग करने वाले पुत्र रविंद्र त्रिपाठी जी एक समाजसेवी, अधिवक्ता होने के साथ-साथ जनपद में ज्योतिष विद्या के आज बड़े विद्वान् के रूप में देखे जाते हैं।

आपके गुरुओं में पं. रामनाथ चतुर्वेदी जी का प्रमुख स्थान रहा और आपकी शिष्य परम्परा एक समृद्धशाली इतिहास  को दर्शाती है। शिष्यों में स्व. शंकर दयाल शास्त्री (आदर्श महाविद्यालय उरई), स्व. प. रामदास नायक, पं. राजाराम शास्त्री (नूरपुर), डॉ. शालिग्राम शास्त्री (प्रवक्ता, गांधी इंटर कॉलेज उरई) प्रमुख हैं।

भाषाओं के ज्ञान में हिंदी, संस्कृत के साथ-साथ अध्ययन काल में आपने अंग्रेजी के माध्यम से भी अध्ययन किया। आपका शैक्षणिक अनुभव लगभग 20 वर्षों का और राजनीतिक कार्य क्षेत्र संपूर्ण  जीवन का रहा है।

शास्त्री जी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के 1932 ईस्वी से संस्थापक प्राचार्य रहे हैं। साथ ही महाविद्यालय में ही आपने प्रबन्ध समिति में कई वर्षों तक प्रबंधक और आजीवन सदस्य के दायित्व का निर्वहण किया। आदर्श संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना और उत्कर्ष में आपका बहुमूल्य एवं अविस्मरणीय अवदान है।

आप प्राचार्य के साथ-साथ जालौन के जिला परिषद अध्यक्ष भी रहे जो आपकी राजनीतिक सक्रियता का निदर्शन है।

अपने जीवन काल में आदर्श महाविद्यालय के प्रबंधतंत्र में रहने के साथ-साथ आप कदौरा  इंटर कॉलेज  जालौन के प्रबंध तंत्र के सदस्य साथ ही बुंदेलखंड इंटर कॉलेज माधौगढ़ के भी आजीवन अध्यक्ष रहे। संस्कृत पाठशाला कोच जालौन से भी सक्रिय रूप से जुड़े थे।

आपने संस्कृत के प्रसार हेतु अपनी राजनीति का लाभ लेते हुए कई कार्य किए। जिसमें उत्तर प्रदेश में पूर्व मध्यमा से आचार्य पर्यंत शिक्षा को हाई स्कूल से एम. ए. तक के समकक्ष मान्यता दिलाने में  आपक बहुमूल्य योगदान रहा है।

आप सन् 1930, 1940 और 1942 में 3 बार जेल गए जो आपके त्याग और समर्पण का सूचक है। स्वतंत्रता के 25 वर्ष के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान देने के लिए प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने राष्ट्र की ओर से आपको राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में एक ताम्रपत्र भेंट किया था। अन्य उपलब्धियों में आपको स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पेंशन एवं प्रमाणपत्र प्राप्त है।

शास्त्री जी के सम्मान में पं. बालमुकुंद शास्त्री कान्वेंट स्कूल, माधौगढ़, जालौन में स्थापित हुआ।

आप कर्मकांड अर्थात् पांडित्यकर्म के विशेषज्ञ विद्वान् माने जाते रहे हैं। आप के विषय में एक अद्भुत तथ्य सामने आता है कि आपने जीवन काल में केवल खादी की चादर ओढ़ी। कभी भी सिले वस्त्रों को धारण नहीं किया। आप राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परम अनुयायी और शहर कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं।

आपका देहावसान 11 अगस्त 1977 को एकादशी जैसी पुण्यतिथि में हुआ।


पुरस्कार

राष्ट्रीय पुरस्कार