20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
सुरेन्द्रनाथ शास्त्री
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निधन 05 जुलाई 1978
स्थायी पता
50 अशरफ टोला, हरदोई

सुरेन्द्रनाथ शास्त्री

राजा रुक्मांगद इण्टर कॉलेज हरदोई जनपद का सबसे पुराना एवं बड़ा ही समृद्ध तथा चर्चित विद्यालय है। इस विद्यालय में एक से बढ़कर एक अपने-अपने विषयों के धुरन्धर शिक्षक लोग अध्यापन करते रहे। इस विद्यालय के संस्कृत के प्रवक्ता आचार्य सुरेन्द्रनाथ शास्त्री का नाम किसी से छिपा नहीं है। संस्कृत में इनके शिष्यगण भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

हरदोई जनपद का मल्लावां कस्बा कई मायनों में समृद्ध एवं उत्कृष्ट रहा है। इसे एक जमाने में छोटी काशी भी कहा जाता था, क्योंकि यहां के संस्कृत विद्यालय में उस समय धुरन्धर संस्कृताचार्य होते थे, जिनके शिष्यों ने केवल उत्तर प्रदेश में नहीं अपितु अन्य प्रदेशों में जाकर ज्ञान का आलोक जगाया। इसी मल्लावां में ही सन् 1919 ई. में जगमोहन द्विवेदी के घर जगरानी देवी ने एक होनहार बुद्धिमान पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम सुरेन्द्रनाथ रखा गया। इनका विवाह वरुणा द्विवेदी से हुआ था जो गोलोकवासी हो चुकी हैं।

इनकी आरम्भिक शिक्षा नगर के ही श्री रुद्र संस्कृत महाविद्यालय बाजीगंज मल्लावां से आरम्भ हुई। इन्होंने परम्परागत रूप से गवर्नमेन्ट संस्कृत कॉलेज बनारस से शास्त्री, आचार्य डी.फिल. की उपाधि ग्रहण की। पुनः आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. की शिक्षा डिग्री भी लिया। संस्कृत साहित्य में इनकी बहुत अच्छी पैठ थी। छात्र बड़े ही सन्तुष्ट रहते थे आपकी अध्यापन विधि से। हिन्दी-संस्कृत-अंग्रेजी में बोलने व लिखने में दक्षता थी।

वर्तमान में इनका परिवार 50 अशरफ टोला हरदोई में स्थायीरूप से रह रहा है। इनके चार बेटे तथा दो बेटियां श्याम मुरारी द्विवेदी, स्व. श्यामबिहारी द्विवेदी, ब्रजबिहारी द्विवेदी, देवेन्द्र मोहन द्विवेदी तथा स्व. नीराजना अवस्थी और अर्चना मिश्रा हैं। दिनांक 5 जुलाई, 1978 ई. को आप गोलोकवासी हो गए।

‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ पर हिन्दी टीका आपके द्वारा लिखी गई थी।