20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ.मीरा रानी रावत
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जन्म 01 दिसंबर 1956
जन्म स्थान बंजरिया पूरन बरेली
स्थायी पता
बंजरिया पूरन बरेली हरदोई

डॉ.मीरा रानी रावत

संस्कृत के क्षेत्र में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान तथा अवदान है। इस क्षेत्र में इनकी सेवा को कमतर नहीं कहा जा सकता। आर्यकन्या महाविद्यालय हरदोई में पूर्व एसोशिएट प्रोफेसर/संस्कृत, विभागाध्यक्ष, डॉ. मीरा रावत का जन्म 277 बंजरिया पूरन बरेली में एक दिसम्बर उन्नीस सौ छप्पन ई. में हुआ। आपकी माता का नाम कमला देवी सक्सेना और पिता का नाम श्री राजेन्द्र प्रसाद रावत है। आपका विवाह 1 दिसम्बर, 1982 ई. को सक्सेना परिवार में सम्पन्न हुआ। आपके दो पुत्र शाश्वत सक्सेना और मनस्वी सक्सेना तथा एक पुत्री सौम्या सक्सेना हैं। ये सभी बहुराष्ट्रीय कम्पनी में सेवारत हैं।

डॉ. मीराजी की आरम्भिक शिक्षा पास के ही प्राथमिक विद्यालय से आरम्भ हुई। इन्होंने बी.ए., एम.ए. की परीक्षा रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय में उत्तीर्ण की। वहीं से 1983 ई. में ‘शतपथ ब्राह्मण में आचार’ विषय को लेकर पी-एच.डी. उपाधि को प्राप्त किया। दिनाङ्क 4.8.1988 से 30.6.2010 ई. तक हरदोई आर्यकन्या डिग्री कॉलेज में संस्कृत विषय का कार्य करती हुई डी.लिट्. की भी उपाधि ‘अनुक्रमणी साहित्य: एक परिशीलन’ विषय पर सन् 2018 में प्राप्त किया। वेद और साहित्य विषय में आपकी दक्षता है। हिन्दी, संस्कृत अंग्रेजी बोलने-लिखने में समर्थ हैं। दिनांक 2019 में 30 वर्ष की लम्बी सेवा से निवृत्त होकर संस्कृत सेवा में आज भी लगी हैं।

कृतियां-इनके दो मौलिक ग्रन्थ तथा एक सम्पादित पुस्तक है-1. अनुक्रमणी साहित्य एक परिशीलन, परिमल पब्लिकेशन्स बुक डिपो, शक्तिनगर।

2. शतपथ ब्राह्मण में आचार  (सन् 2009 ई. परिमल पब्लिकेशन्स बुक डिपो, नई दिल्ली-110007)

3. सावित्र्युपाख्यानम्-सन् 2006 ई. राज बुक डिपो, बरेली।

प्रमुख शोधपत्रों-

1. वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था की आज के युग में प्रासंगिकता, वैदिक वाग्ज्योति, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय 2016

 2. शतपथ ब्राह्मण में जीवनोपयोगी वैदिक मूल्य: वर्तमान परिप्रेक्ष्य में  प्राच्य विद्यानुसन्धानम् जनवरी से जून-2014

3. शतपथब्राह्मण में पर्यावरण चिन्तन प्राच्य विद्यानुसन्धानम् जनवरी से जून 2014

4. शतपथब्राह्मणे मानवमूल्यानि श्यामला जून-2010

5. ऋग्वेदानुक्रमणी में आख्यान गुरुकुल शोध भारती अंक-3   2005

पांच प्रमुख लेख-

1. ऋग्वेदानुक्रमणी में स्वर   वैदिक वाग्ज्योति गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय अंक-1, वर्ष 2012

2. ऋग्वैदिक अनुक्रमणियों में नाम कृतिका वर्ष-2 अंक-3, 2009

3. अनुक्रमणी साहित्य दिव्यज्योति शिमला  मार्च-2003 वर्ष-47 अंक-6

4. वेदों में नवधा भक्ति अनुसन्धानम्     वर्ष-24 2003 ई.

5. अनुक्रमणी साहित्य एक दृष्टि अनुसन्धानम् वर्ष 22, 2001

संस्कृत प्रचार-प्रसार हेतु की गई सेवाएं-संस्कृत की एक जागरुक पण्डिता होने के कारण किसी न किसी नवीन रचनात्मक कार्य में सदैव लगी रही हैं। समय-समय पर संस्कृत के सेमिनार का आयोजन, विद्यालय-स्तर पर छात्राओं में सम्भाषण कराना, बहुत-सी संस्कृत प्रतियोगिताओं के द्वारा छात्राओं में संस्कृत के प्रति अभिरुचि जगाना आपका सराहनीय कार्य रहा है। आकाशवाणी केन्द्र, लखनऊ से समय-समय पर संस्कृत वार्ताओं का प्रसारण होता रहता है।

पुरस्कार-‘संस्कृत शिरोमणि’ पुरस्कार से सम्मानित की गई हैं।


पुरस्कार

संस्कृत शिरोमणि