20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
ईश्वरचन्द्र वर्मा
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जन्म स्थान बावन
स्थायी पता
बावन हरदोई

ईश्वरचन्द्र वर्मा

उत्तर प्रदेश के जनपद हरदोई में ‘बावन’ नाम का एक बहुत प्रसिद्ध पौराणिक स्थल है जो वामन देवता की स्मृति को संजोए हुए हैं। यह अनेक संस्कृत विद्वानों का निवास-क्षेत्र है। कस्बे में श्री श्यामसुन्दर वर्मा स्वर्णकार के यहां शरबती देवी ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम ‘ईश्वरचन्द्र’ रखा गया। यद्यपि पेशे से पिता अपना सुवर्णकारी का कार्य देखते रहे पर उन्होंने अपने लाडले बच्चे को सुसंस्कार और अच्छी शिक्षा देने का संकल्प लिया। बालक ईश्वरचन्द्र बचपन से ही शिक्षा के प्रति बहुत रुचि रखते थे। इन्हें बावन के ही प्राथमिक विद्यालय में आरम्भिक शिक्षा के लिए भेजा गया। वहीं से जूनियर की भी शिक्षा इन्होंने ग्रहण की। तत्पश्चात् हरदोई नगर के विद्यालय से इण्टर और एम.ए. अर्थशास्त्र विषय सी.एस.एन. महाविद्यालय से किया। 1977 में भारतीय स्टेट बैंक में प्रोबेशनरी आफिसर के पद पर कार्यरत हुए। सन् 2013 में सेवानिवृत्त होने के बाद पूर्ण रूप से लेखन में अपना सारा समय देने लगे हैं। शिक्षा के प्रति अकुण्ठ लगाव होने के कारण नौकरी में रहते हुए आपने हिन्दी, संस्कृत और दर्शन शास्त्र में भी एम.ए. की डिग्री प्राप्त की।

डॉ. वर्मा ने संस्कृत के प्रति अत्यधिक लगाव होने के कारण कानपुर विश्वविद्यालय से ‘षड्दर्शनों के उद्गम मूलक साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन’ विषय पर पी-एच.डी. की उपाधि 1988-89 में प्राप्त की। इतने से ही सन्तोष न हुआ तो इसी दर्शन के और भी गूढ़ रहस्य को ‘षड्दर्शन के परमतत्व’ विषय को लेकर अतिगहन अध्ययन-विश्लेषण से डी.लिट्. की भी उपाधि प्राप्त करने में 1993-94 में सफल हुए।

अध्यापन क्षेत्र से वंचित रहकर बैंकिंग के क्षेत्र में व्यस्त होते हुए भी आपका मन सदैव संस्कृत के गूढ़ तत्व दर्शन में ही निरन्तर रमता रहा। यही कारण रहा कि अध्ययन की रुचि से कभी भी विमुख नहीं हुए। विद्वान् जिज्ञासु की लेखनी कभी कुण्ठित नहीं होती। इसके उदाहरण आप में देखे जा सकते हैं। निरन्तर आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक विषयों पर लेखन-कार्य अविरल चल ही रहा है अविराम अभिराम गति से।

प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें-

(1) भारतीय दर्शन में तत्व-चिन्तन, प्रज्ञा प्रकाशन, हरदोई, 2018

(2) तनाव एवं अवसाद (कारण एवं निवारण) अनुभूति प्रकाशन, हरदोई, 2017

(3) क्रोध पर नियन्त्रण अनुभूति प्रकाशन हरदोई, 2016

(4) निबन्ध पुष्पांजलि, मनोज प्रिण्टर्स प्रकाशन हरदोई, 2016

(5) षड्दर्शनों में उद्गम मूलक साहित्य के मूलतत्वों की समीक्षा, मनोज प्रिण्टर्स हरदोई, 2015।

प्रमुख शोधपत्र-करीब 20 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं, जिनमें से कुछ निम्न हैं-

(1) समदृष्टि अन्वीक्षा पत्रिका सन् 2020 दिसम्बर अंक

(2) तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु, अन्वीक्षा पत्रिका, सन् 2019

(3) श्रद्धा तत्व मीमांसा, प्रज्ञा पत्रिका सन् 2018

(4) स्वप्नविज्ञानम्, प्रज्ञा पत्रिका, 2017

(5) भारतीय आध्यात्मिक साहित्य, प्रज्ञा पत्रिका, 2016।

प्रकाशित लेख-लगभग 70 से अधिक लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। कुछ अग्रलिखित हैं-

(1) राष्ट्रवाद का समग्र रूप में अनुशीलन (प्रज्ञा), दिसम्बर-2020

(2) अक्रोध, प्रज्ञा पत्रिका, जून-2019

(3) ध्यान-साधना, प्राज्ञ्य, दिसम्बर-2018

(4) संशयात्मा विनश्यति, अन्वीक्षा, दिसम्बर-2015

(5) योगदर्शन का समग्र रूप में अनुशीलन, अन्वीक्षा, दिसम्बर-2014

(6) अनुभूति एवं संवेदना (साहित्यिक, समाजिक, सांस्कृतिक आध्यात्मिक संस्था) हरदोई।

आपकी साहित्य के प्रति अभिरुचि है, जिसे नित्य प्रति नए-नए आयाम देने में आप लगे हुए हैं जिसका प्रमाण है दो प्रमुख संस्थाएं आप द्वारा संचालित हो रही हैं, जिसमें वर्ष में दो बार शोध लेख एवं रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। इन संस्थाओं के माध्यम से वैदिक एवं लौकिक संस्कृत-साहित्य, दर्शन एवं अध्यात्म का सतत् प्रचार-प्रसार तथा विद्वान् लेखकों के पुस्तकों का प्रकाशन का कार्य भी आप कराते रहते हैं।

डॉ. वर्मा का संस्कृत में वाग्वैदुष्या किसी से छिपा नहीं है। साहित्यिक गतिविधियों को नित नए-नए आयाम देते रहते हैं आप। वस्तुतः आप जागगरुक विद्याव्यसनी हैं। सच्चे अर्थों में आप विद्या-अध्यवसायी तथा विद्या-विनयी हैं। भारतीय संस्कृति और संस्कृत के उपासक तथा गतिप्रदाता हैं।