20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. सूर्य प्रसाद मिश्र
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जन्म 26 दिसंबर 1940
जन्म स्थान ग्राम खजुराहरा
स्थायी पता
ग्राम खजुराहरा हरदोई

डॉ. सूर्य प्रसाद मिश्र

राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित, संस्कृत पण्डित एवं कर्मकाण्ड के विद्वान् आचार्य डॉ. सूर्य प्रकाश मिश्र का जन्म हरदोई जनपद के ग्राम खजुराहरा में पच्चीस दिसम्बर सन् उन्नीस सौ चालीस ई. (25.12.1940 ई.) को हुआ था। आप के पिता पं. कुञ्जन लाल मिश्र संस्कृत के अच्छे पण्डित थे। भगवान् शिव की कृपा से इन्हें जुड़वाँ पुत्र की प्राप्ति हुई जो दोनों ही संस्कृत के विद्वान् आचार्य हुए। प्रारंभ से ही आप की शिक्षा परम्परागत संस्कृत पाठशाला से आरंम्भ हुई। प्रथमा से लेकर आचार्य तक की उपाधि संम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से प्राप्त किया। पुनः कानपुर विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए. की भी डिग्री प्राप्त की। सन् 1970 ई. में वाराणसेय सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय से ‘बाल्मीकिरामायणे अलंकारविमर्शः’ शोध विषय पर विद्यावारिधि (Ph.D.) की उपाधि की प्राप्त की। यद्यपि यह शोधग्रन्थ अभी तक प्रकाशित नहीं हो पाया है।

आचार्य की उपाधि प्राप्त करने के बाद 1968 से लेकर 1972 तक आप मुम्बई में रहे। यहाँ पर भारतीय विद्या भवन, चौपाटी रोड मुम्बई में कुछ समय तक कार्य किया। वहाँ विशेष मन न लगने के कारण गृह जनपद हरदोई वापस आ गये। उस समय श्री शिव संकट हरण संस्कृत महाविद्यालय, सकाहा में आचार्य की जगह खाली थी, जहाँ अपने 1972 से अध्यापन कार्य करना आरंभ कर दिया। यहीं पर 2000 ई. में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य करते हुए आपकी आकस्मिक मृत्यु हो गयी। सन् 1998 ई. में आपने अपने महाविद्यालय में एक अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कराया, जिसमें देश के लब्ध ख्याति धुरन्धर विद्वानों के द्वारा विषय विशेषज्ञ के रूप में व्याख्यान हुआ। बड़े-बड़े धार्मिक यज्ञ-यज्ञादिकों में आचार्य के रूप में आप यज्ञों को सम्पन्न कराते रहे। आस पड़ोस के जिलों में जुड़आँ मिश्र बन्धुओं का नाम बड़े ही आदर से लिया जाता था। आपमें संस्कृत में बोलने की व कर्मकाण्ड की पर्याप्त क्षमता थी। इसीलिए लोग उन्हें अपने घरों में बुलाकर कर्मकाण्ड आदि कार्य करवाते रहे।

प्रमुख रचनाएँ- आप की कुल 5 प्रमुख मौलिक कृतियाँ प्राप्त होती है। दो कृतियों को आपने सम्पादित भी किया है।

1. इन्दिराविजयम् नाटकम्-यह 1990 ई. में प्रकाशित हुई। इसमें भूतपूर्व प्रधान मन्त्री इन्दिरा गाँधी द्वारा पूर्वी पाकिस्तान पर की गयी विजय (बाँग्ला देश विजय) पर नाटक लिखा है। 2. राजीवशतकम्-इसमें पूर्व प्रधान मन्त्री राजीव गाँधी के जीवन को लेकर सौ श्लोकों में चरित्र-दर्शन प्रस्तुत किया गया है। 3. गौशतकम्-भारत में गोमाता के महत्त्व को लेकर गाय की पौराणिक प्रभूत विशेषताओं एवं महत्त्व को सौ श्लोकों में बद्ध किया गया है। 4. छात्रपथदर्पणम्-1967 ई. में प्रकाशित इस कृति में छात्रोपयोगी विषयों का समावेश किया गया है। 5. यौतुकशतकम्-दहेज प्रथा को लेकर कवि डॉ. सूर्य प्रसाद मिश्र ने सौ श्लोकों में इसकी आलोचना प्रत्यालोचना कर इस प्रथा को समाज के लिए निकृष्ट और घातक बताया है।

सम्मान और पुरस्कार-स्थानीय स्तर पर कई समितियों के द्वारा आप को सम्मानित किया गया। आप के द्वारा किये गये संस्कृत के प्रति सेवा और विशिष्ट अवदानों के कारण आपको देश के प्रतिष्ठित सम्मान राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


पुरस्कार

राष्ट्रपति पुरस्कार