20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ.आञ्जनेय सहाय अवस्थी
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जन्म 05 मई 1997
जन्म स्थान बधाकटरा औरैया
स्थायी पता
बधाकटरा औरैया

डॉ.आञ्जनेय सहाय अवस्थी

डॉ. आञ्जनेय सहाय अवस्थी संस्कृत एवं हिन्दी के उद्भट विद्वान् हैं। शिक्षकीय वृत्ति से जुड़े रहे डॉ. आञ्जनेय कालान्तर में तिलक इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य भी नियुक्त किए गए।

15 मई, 1997 को बधाकटरा औरैया में जन्में डॉ. आञ्जनेय की माता का नाम श्रीमती राधारानी अवस्थी एवं पिता का नाम श्री राम सेवक अवस्थी था। पं. राज सेवक अवस्थी भी हिन्दी एवं संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित थे जिसका प्रभाव आञ्जनेय जी पर बचपन से ही पड़ा।

आञ्जनेय जी की प्रारम्भिक शिक्षा औरैया में ही सम्पन्न हुई और उच्च शिक्षा कानपुर में। उन्होंने परम्परागत शिक्षा में साहित्याचार्य, आयुर्वेदाचार्य एवं आधुनिक शिक्षा में परास्नातक (हिन्दी, संस्कृत), बी.एड. एवं पी-एच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।

अवस्थी जी के तीन पुत्र अवनीश अवस्थी, वागीश अवस्थी, एवं श्रीश अवस्थी हैं।

हिन्दी, अंग्रेजी एवं संस्कृत पर समान अधिकार रखने वाले डॉ. अवस्थी का अध्यापन अनुभव लगभग 40 वर्ष का है। डॉ. मुंशीराम शर्मा ‘सोम’, पं. राम सेवक अवस्थी की शिष्य परम्परा से निकले डॉ. अवस्थी ने हिन्दी संस्कृत के क्षेत्र में नवीन कीर्तिमान गढ़े। उनके प्रमुख शिष्यों में शशि शेखर अवस्थी, डॉ. गोविन्द द्विवेदी, अविनाश अग्निहोत्री, ममता कुशवाहा, डॉ. ममता पाण्डेय, एवं डॉ. ज्योति पाठक प्रमुख हैं।

उनकी कृतियों में मौलिक कृतियों के अन्तर्गत अधूरा प्यार एवं सच्चा प्यार है। इसी प्रकार संम्पादित कृतियों में दशकुमारचरित, उत्तररामचरितम्, किरातार्जुनीयम्, संस्कृत व्याकरण एवं काव्यार्चन हैं।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि डॉ. अवस्थी हिन्दी एवं संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित एवं अपने विद्यार्थियों में आदृत एवं साहित्य के क्षेत्र में मूर्धन्य स्थान पर विराजमान हैं।