20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
कैलाश नाथ द्विवेदी
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया upsanskritsansthanam@yahoo.com पर भेजें

जन्म 11 जनवरी 1942
जन्म स्थान ग्राम बैना
स्थायी पता
कुसुम कुलाय सूर्यनगर अजीतमल, औरैया उत्तर प्रदेश

कैलाश नाथ द्विवेदी

वैना नामक ग्राम (कानपुर देहात) में जन्में डॉ. कैलाश नाथ द्विवेदी के पिता का नाम पं. सुदर्शन लाल द्विवेदी एवं माता का नाम श्रीमती सुखरानी देवी था। 11 जनवरी 1942 के जन्मे इस प्रतिभासम्पन्न बालक की प्रारम्भिक शिक्षा जन्मस्थान ग्राम बैना कानपुर (देहात) में ही सम्पन्न हुई। तदनन्तर उन्होंने परम्परागत शिक्षा में साहित्याचार्य एवं साहित्यरत्न की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा आधुनिक शिक्षा में बी.ए., एम.ए., पी-एच.डी. एवं डी. लिट्. तक की उपाधियाँ प्राप्त कीं। आगरा विश्वविद्यालय, आगरा से ‘‘कालिदास की कृतियों में भौगोलिक स्थलों का प्रत्यभिज्ञान’’ विषय पर पी-एच.डी. एवं छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर (तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर) से ‘‘ऋग्वैदिक भूगोल’’ विषय पर डी.लिट्. की उपाधि प्राप्त की।

बोलने एवं लिखने में हिन्दी, अंग्रेजी व संस्कृत भाषाओं में निष्णात डॉ. द्विवेदी जनता महाविद्यालय अजीतमल औरैया में रीडर, संस्कृत विभाग तत्पश्चात् मथुराप्रसाद महाविद्यालय कोंच उरई, उत्तरप्रदेश में प्राचार्य पद पर नियुक्त हुए। वैदिक एवं लौकिक संस्कृत में डॉ. द्विवेदी के कुशल निर्देशन में 24

शोधार्थियों को पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त हुई। 36 वर्षों के दीर्घ अध्यापन अनुभव के साथ ही उन्होंने लेखन कार्य भी जारी रखा। फलतः 35 मौलिक ग्रन्थ, 11 सम्पादित ग्रन्थ एवं 03 अनूदित ग्रन्थ अस्तित्व में आए।

डॉ. द्विवेदी की मौलिक रूप से संस्कृत में लिखी रचनाएँ 10 हैं। जो निम्नवत् हैं-

1. कालिदासीयम् (शोध लेख संकलन) - परिमल पब्लिकेशन नई दिल्ली 2021।

2. शाकुन्तलसौरभम् - परिमल प्रकाशन दिल्ली 2012 (सानुवाद)

3. कथाकलिका - सुरभि पब्लिकेशन जयपुर 2009 यह कृति भारतीय विद्याभवनम्, नई दिल्ली से पुरस्कृत है।

4. मृच्छकटिकपरिशीलनम् (शोध समीक्षा) कुसुम कुलाय अजीतमल, औरैया 2007, संस्कृत संस्थान, लखनऊ से पुरस्कृत।

5. नाट्यामृतम् - कुसुम कुलाय अजीतमल औरैया 2005, उ.प्र. संस्कृत संस्थान, लखनऊ से पुरस्कृत।

6. डॉ. कैलाशनाथद्विवेदिनोऽभिनवचिन्तनम् - कुसुम कुलाय अजीतमल, औरैया।

7. काव्यमाला - कुसुमकुलाय अजीतमल औरैया, दिल्ली संस्कृत अकादमी से पुरस्कृत।

8. शाकुन्तलीयम् - रेखा प्रकाशन आगरा 1988

9. रेखाञ्जलि - साहित्य रत्नालय कानपुर (1992) उ.प्र. संस्कृत संस्थान लखनऊ एवं दिल्ली संस्कृत अकादमी से पुरस्कृत।

10. गुरुमाहात्म्यशतकम् - सुबोध प्रकाशन, कानपुर 1981।

इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा में लिखी हुई उनकी प्रमुख कृतियों में कालि दासीय भूगोल, वैदिक भूगोल: सप्त सैन्धव प्रदेश, नाटककार हरिहर, संस्कृत के प्रतीक नाटक और अमृतोदय, संस्कृत साहित्य का इतिहास, योगसूत्र एवं भगवद्गीता, कालिदास परिशीलन, कालिदास एवं भवभूति के नारी पात्र साहित्यिक एवं सांस्कृतिक निबंध, संस्कृत कवियित्रियों का व्यक्तित्व एवं

कृतित्व, नाटककार हस्तिमल्ल, वैदिक भूगोल, महाकवि कालिदास, भारतीय संस्कृति की रूपरेखा, कालिदास की कृतियों में भौगोलिक स्थलों का प्रत्यभिज्ञान, भाषा विज्ञान और हिन्दी भाषा की भूमिका के अतिरिक्त मौलिक हिन्दी रचनाएँ, ममता के बंधन, साहित्य संस्कृति विमर्श, जय या पराजय, चिन्तन निकष, बिम्बनाद, (हिन्दी कविता संग्रह) साहित्य संस्कृति चिन्तन कुसुमाञ्जलि, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक निबन्ध, जीवन अपराजित आदि के अतिरिक्त सम्पादित ग्रन्थ निम्नवत् है-

राम कथा: विविध आयाम, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, संस्कृत व्याकरण, संस्कृत काव्यांग चन्द्रिका, छन्दोऽलंकारमञ्जरी, लघुसिद्धान्तकौमुदी, वेद प्रवेशिका, रघुवंशम् (प्रथम सर्ग), ऋङ्मन्त्रमाला, याज्ञवल्क्यस्मृति (दाय भाग प्रकरण), बी.ए. संस्कृत व्याकरण आदि।

डॉ. द्विवेदी के अनुवाद कौशल को अभिव्यक्त करती हुई ये कृतियाँ उल्लेखनीय हैं-

(1)      शाकुन्तलसौरभम् - हिन्दी पद्यानुवाद, (2) कथाकलिका (हिन्दी अनुवाद), (3) नाट्यामृतम् (हिन्दी अनुवाद)

इसके अतिरिक्त 8 प्रमुख शोध पत्र एवं 6 प्रमुख लेख विभिन्न शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

आपकी सहभागिता अधिक से अधिक संस्कृत को समर्पित संस्थाओं में रही जहाँ आप विभिन्न पदों की शोभा बढ़ाते रहे।

इस प्रकार डॉ. द्विवेदी संस्कृत संवर्द्धन हेतु सतत् प्रयत्न रत हैं। जिससे संस्कृत के प्रचार प्रसार को बल मिला है। इनकी गुरु परम्परा में मुख्यतः डॉ. सत्यनारायण पाण्डेय, डॉ. कृष्णकान्त त्रिपाठी, डॉ. बाबू राम पाण्डेय जी रहे। शिष्य परम्परा तो अत्यन्त विस्तृत है जिसमें मुख्यरूप से डॉ. भूदेव प्रसाद मिश्र, डॉ. किरनसिंह डॉ. कल्पना सोनकिया, डॉ. जेबा खान, डॉ. हिना आसिफ आदि मुख्य हैं।

आप राजभाषा विभाग, बिहार सरकार के इतिहास और संस्कृति पुरस्कार 1986-87, अखिल भारतीय संस्कृत विद्वत् परिषद् अयोध्या सम्मेलन में प्रयाग द्वारा महामहोपाध्याय की उपाधि 2009 एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान हेतु संस्कृत की सुदीर्घ सेवा हेतु विशिष्ट पुरस्कार 2010 से पुरस्कृत हैं। डॉ. द्विवेदी जी सम्प्रति कुसुम कुलाय सूर्यनगर अजीतमल, औरैया उत्तर प्रदेश में सपरिवार सानन्द निवास कर रहे हैं। जिसमें पत्नी श्रीमती कुसुमादेवी, पुत्र कपिल देव द्विवेदी, अरुणदेव द्विवेदी, व प्रणव देव द्विवेदी एवं पुत्री श्रीमती विभा शुक्ला हैं। संस्कृत-हिन्दी साहित्य में आपका बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है।