20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो. करुणेश शुक्ल
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जन्म स्थान गोला

प्रो. करुणेश शुक्ल

आपका जन्म गोरखपुर के (सुपाठ्य नहीं है) का गोला नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिताजी का नाम पं० कृष्ण देव शुक्ल और माता जी का नाम श्रीमती सरस्वती देवी था । आपके बड़े भाई कमलेश शुक्ल एक अच्छे साहित्यकार हैं ।

आप की प्रारम्भिक शिक्षा गोरखपुर में एवं जूनियर हाई स्कूल की शिक्षा लक्ष्मीपुर (महराजगंज) में हुई। आपने 1958 में बी.ए. और 1960 में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की ।

आपने 1960-61 से विश्वविद्यालय गोरखपुर के संस्कृत विभाग में शिक्षण कार्य प्रारम्भ किया ।

1962 में प्रोफेसर वीरमणि उपाध्याय के निर्देशन में "शंकर और नागार्जुन का तुलनात्मक अध्ययन" विषय पर शोध की उपाधि प्राप्त की । आपने बौद्ध दर्शन पर गहन अध्ययन के बाद नागार्जुन बौद्ध दर्शन पर गहन अध्ययन किया । आप वर्तमान नागार्जुन बौद्ध संस्थान के पदाधिकारी हैं। इस संस्थान के द्वारा भी आप लगातार पुस्तकों का सम्पादन एवं अन्तर्राष्ट्रीय विद्वानों का व्याख्यान आयोजित कराते रहते हैं । आपके दिशा निर्देशन में नागार्जुन बौद्ध संस्थान इधर एक नया काम, पुरानी नष्ट हो रही संस्कृत की हस्तलिखित पाण्डुलिपियों का संरक्षण एवं उन्हें सुव्यवस्थित करने के बाद प्रकाशित कराने का उत्तरदायित्व का निर्वहन कर रहा है ।

रचनाएँ -आप ने वर्ष 1956-57 से ही रचना शुरू कर दिया था । दुर्भाग्यवश आप की प्रथम रचना "रामवनगमनम्" व  "गीतचिंतनम्" आदि प्रकाशन के पूर्व ही गायब हो गई । नागार्जुन बौद्ध प्रतिष्ठान के द्वारा निम्नलिखित पुस्तकें आपके द्वारा प्रकाशित कराई गई हैं -

1. आत्मनि आत्मनिवेदनम्

2. आचार्य गौड़पाद और प्राचीन वेदान्त

3. Nature of Bondage and Liberation in Buddhist Systems.

4. प्राचीन हस्तलिखित ग्रन्थों की सुरक्षा

5. घटखर्परकाव्यम्

6. वल्लभभट्ट रचित अरुङकर कौमुदी

7. जेतारिकृतों हेतुतत्वोपदेश

8. अमृताकरप्रणीत: चतु:स्तवसमासार्थ:

9. भट्टवादीन्द्र रचित कणादसूत्र निबन्ध

10. Vais ESIKA SUTRAS OF KANADA

11. हेरुकनिधान तन्त्रम्

12. श्रावक भूमि भाग -1 एवं 2

13. पाशुपतम्

14. दस पदार्थ शास्त्र

15. वैशेषिक वार्तिक

16. वृत्त मंजरी

17. वैशेषिक सूक्त

18. तथागत चिन्तनम् - यह रचना अपूर्ण है । इसको पूरा करने के लिए आप सक्रिय लेखन में व्यस्त हैं । यह पुस्तक तथागत गौतम बुद्ध की जीवन दर्शिका होगी ऐसी आशा है । इसके अलावा आप का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण काम भूत भूमि, अवतार भूमि, नौस्तस्य भूमि का अनुवाद किया है । यह होशियारपुर के जर्नल में प्रकाशित भी हो चुकी है । "बौद्ध पदार्थ चिंता", "अरविंदो पानीयम्" आदि लिखकर संस्कृत विद्वानों, छात्रों एवं बौद्ध धर्म के अनुयायियों की अद्भुत सेवा की है । आपकी सक्रिय लेखनी अभी भी अबाध गति से चल रही है ।