20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो. वीरमणि प्रसाद उपाध्याय
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जन्म स्थान बंगुपर (ब्रह्मपुरा)
स्थायी पता
बंगुपर (ब्रह्मपुरा) पटना

प्रो. वीरमणि प्रसाद उपाध्याय

आपका जन्म बिहार प्रान्त के पटना प्रखण्ड के नालन्दा मण्डल स्थित बंगुपर (ब्रह्मपुरा) नामक गाँव में संवत् 1961 विक्रमी में कार्तिक कृष्ण नवमी को हुआ था । आपके पिता का नाम श्रीमद् आदित्य प्रसाद उपाध्याय और पितामह का नाम श्री धनीराम था ।

प्रो. उपाध्याय वर्ष 1922-23 में इण्टर आर्ट्स तथा नव्य न्याय शास्त्री कक्षा में प्रविष्ट हुए । सन् 1924 में न्याय शास्त्री की परीक्षा और 1926 में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की । इसके बाद आप पटना विश्वविद्यालय में सन् 1928 में अंग्रेजी में एम.ए. के साथ एल.एल.बी. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण कर कुछ वर्षों तक छपरा में वकालत करते रहे। सन् 1930 में काशीराज संस्कृत महाविद्यालय क्वींस कॉलेज में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 80 रुपए मासिक छात्रवृत्ति पर म.म. पं० गोपीनाथ कविराज के तत्त्वावधान में "वेदान्त वास्पति अनुसन्धान" के कार्य में संलग्न हो गए । वर्ष 1932 में आपने हिन्दू विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की ।

प्रो. उपाध्याय रणवीर संस्कृत पाठशाला के अध्यक्ष नियुक्त हुए । सन् 1936 में आर्ट्स कॉलेज में संस्कृत के असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त हुए । तत्पश्चात् 1951 तक काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया । इसके बाद बिहार सरकार द्वारा संस्कृत निदेशक के पद पर नियुक्त कर दिए गए । गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना होने पर आप संस्कृत विभाग के अध्यक्ष व आचार्य के पद पर प्रतिष्ठित किए गए । आपने 1967 तक गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग का संवर्धन किया । आपने विश्वविद्यालय के अति महत्त्वपूर्ण पदों विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, कुलसचिव और कुलपति आदि पदों का एक साथ निर्वहन किया। आप 1962 से 1972 तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के द्वारा मानद आचार्य के रूप में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कार्य किया ।