20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. नमिता अग्रवाल
जन्म 25 जून 1966
जन्म स्थान बाँदा
मोबाइल नंबर
9450170249
स्थायी पता
होटल गुरुदेव पैलेस के बगल में सिविल लाइंस बांदा 21001 उ.प्र.

डॉ. नमिता अग्रवाल

डॉ. नमिता अग्रवाल का जन्म 25 जून, 1966 में उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले में हुआ था । आप की माता का नाम श्रीमती गायत्री देवी तथा पिता श्री राधेश्याम अग्रवाल थे । आपका विवाह 1993 में श्री माधव शरण अग्रवाल से हुआ था । आपकी एक पुत्री माधवी का अग्रवाल तथा एक पुत्र राघव अग्रवाल है ।

आप की सम्पूर्ण शिक्षा बाँदा जिले में सन् 1980 में हुई । आपने 69% अंकों से हाई स्कूल की परीक्षा जिले में प्रथम स्थान प्राप्त कर उत्तीर्ण की है । 1982 में 67% अंकों के साथ इण्टरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। सन् 1984 में प्रथम श्रेणी में बी. ए. पास कर, बुंदेलखण्ड विश्वविद्यालय से 73% अंकों से एम.ए. की परीक्षा पास की । तदनन्तर आप अपने शोध कार्य के लिए सागर (म०प्र०) आ गईं । यहाँ आपने डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्य प्रदेश से "डॉ. रामपाणिवाद का नाट्य साहित्य" विषय पर शोध कार्य पूर्ण किया तथा विद्यावारिधि की उपाधि प्राप्त की  ।

 

 

रचनाएँ-

  1. रामपाणिवाद का नाट्य साहित्य

नमिता अग्रवाल का प्रथम ग्रन्थ उनका प्रकाशित शोधग्रन्थ रामपाणिवाद का नाट्य साहित्य है। आचार्य राधा वल्लभ त्रिपाठी जैसे लब्ध प्रतिष्ठित नाट्याचार्य के निर्देशन में आपने नाट्यशास्त्र की बारीकियों को समझा और अपने शोध कार्य में उतारा। डॉ. अग्रवाल का शोध कार्य दुर्लभ साहित्य पर किया गया है । शोध कार्य की उत्कृष्टता और वैशिष्ट्य के कारण यह ग्रन्थ यू.जी.सी. और सागर विश्वविद्यालय के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुआ है । प्रस्तुत ग्रन्थ में 18वीं शताब्दी के कवि रामपाणिवाद की चतुर्मुखी प्रतिभा के दर्शन होते हैं । इस पुस्तक में लेखिका ने रामपाणिवाद कृत सीताराघवम् नाटक, मदनकेतुचरितम् प्रहसन, लीलावती वीथी एवं चन्द्रिका वीथी की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा की है । ये रचनाएँ समकालीन साहित्य में अपना अपूर्व स्थान रखती हैं। अभिनय की दृष्टि से ये रचनाएँ भास की कृतियों से समानता रखती है तथा भाषा शैली, छन्दोविधान, अलंकार योजना की दृष्टि से ये रचनाएँ कालिदास और भवभूति से साम्य रखती हैं । डॉ. अग्रवाल जी की यह रचना साहित्य की अनमोल कृति है ।

  1. "संस्कृत साहित्य में प्रहसन" डॉ नमिता की यह पुस्तक सन् 1992 में अक्षयवट प्रकाशन इलाहाबाद से प्रकाशित हुई। इस ग्रन्थ में दुर्लभ प्रहसन साहित्य का इतिहास वर्णित किया गया है । साथ ही इसमें रामपाणिवाद कृत मदनकेतुचरितम् प्रहसन का हिन्दी रूपान्तर भी प्रस्तुत किया गया है । यह पुस्तक भी नितान्त मौलिक एवं दुर्लभ रचना है ।

 

इसके अतिरिक्त डॉ. नमिता के एक दर्जन से अधिक शोधपत्र विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं । राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न शोध संगोष्ठियों में आप सहभागिता करती रही हैं । संस्कृत भाषा के साथ आप हिन्दी, अंग्रेजी भाषा में भी समान अधिकार रखती हैं । नाट्यशास्त्र में भी आपका विशेषाधिकार है । अध्यापन के प्रति आप समर्पित हैं । अध्यापन के अतिरिक्त आप संस्कृत संवर्धन हेतु विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों को संचालित करती रहती हैं । आप के निर्देशन में अद्यावधि 8 विद्यार्थी अपना शोध कार्य पूर्ण कर विद्यावारिधि की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं तथा 4 विद्यार्थी पंजीकृत हैं ।

डॉ. नमिता अत्यन्त विनम्र, मृदुभाषी, सरल, सहज एवं उदारमना हैं । आप अन्तर्मुखी प्रतिभा की धनी हैं, जो कि आपके कृतित्व से ही दिखाई देता है ।‌ भले ही आपने दो पुस्तकों की ही रचना की है किन्तु यह दोनों पुस्तकें साहित्य जगत् में गागर में सागर भरने की उक्ति को चरितार्थ करती हैं ।

(आपका पत्राचार का पता होटल गुरुदेव पैलेस के बगल में सिविल लाइंस बांदा 21001 उ.प्र. है। आपका संपर्क सूत्र 94 50170249 है ।)