20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो. रमाशंकर मिश्र
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया upsanskritsansthanam@yahoo.com पर भेजें

जन्म 15 मई 1947
जन्म स्थान ग्राम बनगाँव जदीद
स्थायी पता
ग्राम बनगाँव जदीद अम्बेडकरनगर

प्रो. रमाशंकर मिश्र

प्रो. रमाशंकर मिश्र का जन्म अम्बेडकरनगर की भीटी तहसील के बनगाँव जदीद नामक ग्राम में 15 मई, 1947 को हुआ। आपके पिता स्व. श्री रामदुलार मिश्र तथा माता स्व. श्रीमती पार्वती देवी थीं। प्रारम्भिक शिक्षा बनगाँव प्राथमिक पाठशाला तथा माध्यमिक शिक्षा रामबाबा इण्टर कॉलेज व श्री अनन्त इण्टर कॉलेज खपरडीह से सम्पन्न हुई। उच्चशिक्षा में बी.ए. की डिग्री अयोध्या जिले के प्रतिष्ठित विद्यालय साकेत कामना प्रसाद सुन्दरलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय से तथा एम.ए. व पीएच.डी. की डिग्री लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की। आपके शोध का शीर्षक ‘रुद्रयामल उत्तरतन्त्र्ा का परिशीलन’ था आपकी विशेषज्ञता का क्षेत्र्ा भारतीय दर्शन है। आपका शैक्षणिक अनुभव प्रायः 36 वर्ष रहा।

आपकी दो सन्तानों में एक पुत्र श्री सत्यकाम मिश्र व एक पुत्री डॉ. ऋचा मिश्रा हैं।

आपने कई वर्षों तक डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग की शोभा बढाई। आप लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष भी रहे और लखनऊ विश्वविद्यालय के अभिनवगुप्त संस्थान के निदेशक पद का भी दायित्व निर्वहण किया। आप संस्कृत, हिन्दी व अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार रखते हैं।

आपके द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की संख्या 7 है जिनमें कुछ मौलिक व कुछ अन्य भाषाओं में अनुवाद हैं। प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

क्रियायोग (प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली), रुद्रयामल उत्तरतन्त्र : धर्म और दर्शन (परिमल प्रकाशन, दिल्ली), नैतिक शिक्षा, कादम्बरी, महाश्वेता वृत्तान्त, नलोपाख्यानम्: व्याख्या (इन तीनों ग्रन्थों का प्रकाशन जमीर खाँ एण्ड ब्रदर्स, अयोध्या से हुआ है। आपके द्वारा प्रकाशित शोधपत्रों की संख्या 70 से भी अधिक है।

आपके गुरुओं में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. के.सी. पाण्डेय व प्रो. जे.पी.सिन्हा, अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ए.सी.बनर्जी तथा संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के पूर्व कुलपति प्रो. ए.के. कालिया आदि रहे।

आपके शिष्यों की सूची बहुत लम्बी है, विशेष उल्लेखनीय शिष्यों में किसान पी.जी. कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सत्यभामा श्रीवास्तव, साकेत महाविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. तुलसीराम वर्मा, टी.एन.पी.जी.कॉलेज के पूर्व विभागाध्यक्ष व प्राचार्य डॉ. रामजियावन पाण्डेय, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्राच्य संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अयोध्यादास श्रीवैष्णव आदि हैं।

आपके निर्देशन में प्रायः 25 छात्रों को एम.फिल, 51 को पीएच.डी. (विद्यावारिधि) व 2 छात्रों को डी.लिट. (विद्यावाचस्पति) की उपाधि प्राप्त हुई है।