20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
कपिलदेव शुक्ल
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जन्म 15 दिसंबर 1950
जन्म स्थान ग्राम मैरवा
स्थायी पता
ग्राम मैरवा अम्बेडकरनगर

कपिलदेव शुक्ल

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. कपिलदेव शुक्ल का जन्म अम्बेडकरनगर जनपद के ग्राम मैरवा पोस्ट खालिसपुर में 15 दिसम्बर सन् 1950 में हुआ था। आपके पिता स्व. श्री रामशब्द शुक्ल व माता का नाम श्रीमती गंगादेवी है। आपका विवाह सन् 1968  में हुआ। आपकी तीन सन्तान क्रमशः विजय, विवेक व श्रुति हैं। आपकी आरम्भिक शिक्षा विन्ध्येश्वरी इण्टर कॉलेज, तुलसीनगर आजमगढ से हुई। उच्च शिक्षा में बी.ए. अयोध्या जनपद के कामनाप्रसाद सुन्दरलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय से तथा एम.ए. व पीएच.डी. की डिग्री गोरखपुर विश्वविद्यालय से प्राप्त हुई। आपका शोध विषय ‘आपस्तम्ब श्रौतसूत्रों का आलोचनात्मक अध्ययन’ है आपकी विशेषज्ञता का क्षेत्र मूलतः वेद है।

आपका हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषाओं पर समान अधिकार है। आपकी कुल पाँच मौलिक पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है जलाप्लवन आख्यानम्, स्वरप्रक्रिया, आपस्तम्ब श्रौतसूत्र-एक अध्ययन, ऋग्वेदभाष्यभूमिका, भारतीय संस्कृति के मूलतत्व (इन सभी का प्रकाशन गोरखपुर के नेशनल बुक डिपो से हुआ है)। शोधपत्रों में वैदिक शब्दविज्ञान, वैदिक अर्थविज्ञान, वेदों में उपासना, वेदों में सांस्कृतिक तत्त्व व वैदिक स्वरविज्ञान सहित प्रायः 85 शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं साथ 12 लेख भी विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। आपने विभिन्न विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों की चयनसमितियों/पाठ्यक्रमसमितियों/शोधमौखिकियों के विशेषज्ञ के रूप में भी सहभागिता की है। आपके निर्देशन में कुल 38 शोधार्थियों को पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त हुई है। आपको उ.प्र. संस्कृत परिषद्  की ओर से सन् 2002 में प्रसिद्ध सायण पुरस्कार प्रदान किया गया।


पुरस्कार

सायण पुरस्कार