20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
छवि कृष्ण आर्य शास्त्री
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जन्म 07 नवम्बर 1953
जन्म स्थान ग्राम गौठना ,संभल
स्थायी पता
125, 126 डी 11 सेक्टर 7 रोहिणी, नई दिल्ली

छवि कृष्ण आर्य शास्त्री

छवि कृष्ण आर्य शास्त्री केंद्रीय विद्यालय संगठन के सेवानिवृत्त प्राचार्य तथा वर्तमान में श्री शंकराचार्य संस्कृत महाविद्यालय भारती विद्याभवन, नई दिल्ली में प्राचार्य पद पर कार्यरत हैं। आपके पिता स्वर्गीय कन्हैयालाल एवं माता स्वर्गीय किशोरी देवी हैं। आपका जन्म संभल के गुन्नौर तहसील में स्थित गौठना नामक ग्राम में सात नवंबर, 1953 को हुआ। आप वर्तमान में 125, 126 डी 11 सेक्टर 7 रोहिणी, नई दिल्ली में निवास करते हैं।

आपकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम गोठना के प्राथमिक विद्यालय में तथा जूनियर हाई स्कूल गुन्नौर में हुई। आपने श्री सर्वदानंद संस्कृत महाविद्यालय गुरुकुल साधु आश्रम से शास्त्री व आचार्य की उपाधि प्राप्त की, जो संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय है। दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. एवं एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की तथा ‘ऋग्वेद के निर्वचनों का पश्चाद्वर्ती वाड्.मय के निर्वचनों के साथ तुलनात्मक अध्ययन, ‘भाषा वैज्ञानिक एवं दार्शनिक अध्ययन’ विषय पर शोधकार्य गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार से किया।

हिंदी, संस्कृत तथा अंग्रेजी में समन गति रखने वाले छविकृष्ण आर्य शास्त्री न्याय वैशेषिक दर्शन एवं ऋग्वेद में वैदिक साहित्य में विशेषज्ञता रखते हैं। आपने 36 वर्षों से अधिक शिक्षण कार्य किया है। आपकी 3 मौलिक एवं दो संपादित कृतियाँ हैं-जिनमें संस्कृत ज्ञानोदय (चार भागों) जवाहर प्रकाशन, गाजियाबाद से प्रकाशित है। संस्कृत ज्ञान सुरभि (चार भागों) भी जवाहर प्रकाशन गाजियाबाद से प्रकाशित हैं। संस्कृतज्ञान प्रकाशिका यह भी चार भागों में है, यह एवरशाइन प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित है। ऋग्वेदीय निर्वचन यह मौलिक कृति है जो उपासना पब्लिकेशन नई दिल्ली से तथा संस्कृतरत्नम् (चार भागों) रत्नसागर पब्लिकेशन से प्रकाशित है तथा वेद के देवता, वेद के ऋषि यह दो कृतियां प्रकाशनाधीन हैं। विभिन्न पत्रा-पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित होते रहे हैं जिनमें संक्रमितानुदेशनपद्धत्या संस्कृतशिक्षणम् एवं भारतीय दर्शन यह दो प्रमुख लेख हैं।

आप दिल्ली संस्कृत अकादमी से विगत 5 वर्षों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं इसके अलावा हनुमान संस्कृत महाविद्यालय टैगोर मॉडल, दिल्ली से भी जुड़े रहेे हैं। साथ संसाधक, सह निदेशक एवं निदेशक टी.जी.टी. संस्कृत केन्द्रीय विद्यालय एवं दिल्ली सरकार के विभिन्न पदों पर आपने कार्य किया है। आपकी गुरु परंपरा में दर्शन वाचस्पति, आचार्य विश्व बंधु शास्त्री, आचार्य मथुरा नाथ चतुर्वेदी, डॉ. वाचस्पति उपाध्याय और प्रोफेसर डॉ. सत्यव्रत शास्त्री जैसे महान् लोग रहे हैं। आपकी शिष्य परंपरा में प्रोफेसर डॉ अरविंद शर्मा, डॉ. चंद्रशेखर शर्मा ग्वालियर, यतेंद्र कुमार शर्मा, पूर्व प्राचार्य योगेंद्र कुमार शास्त्री, जयपाल आर्य, शिक्षक केंद्रीय विद्यालय आदि प्रमुख रहे हैं। संस्कृत सेवा सम्मान, संस्कृत समाराधक सम्मान आदि सम्मान भी आपको प्राप्त हो चुके हैं। आप निरंतर संस्कृत के प्रचार प्रसार में सक्रिय योगदान देते रहते हैं।


पुरस्कार

संस्कृत सेवा सम्मान, संस्कृत समाराधक सम्मान