20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो. शिवजी उपाध्याय
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जन्म 03 मार्च 1943
जन्म स्थान ग्राम पण्डितपुर
स्थायी पता
ग्राम पण्डितपुर ,मीरजापुर उ०प्र०

प्रो. शिवजी उपाध्याय

आचार्य शिवजी उपाध्याय का जन्म दि० ०३.०३.१९४३ ईशवीय वर्ष में ग्राम पण्डितपुर, मीरजापुर उ०प्र० में हुआ। स्वर्गीया श्रीमती राजेश्वरी देवी माता तथा स्वर्गीय पण्डित संकठा प्रसाद उपाध्याय पिता थे। प्रो० मीरजापुर के संस्कृतमहाविद्यालय वरियाघाट से मध्यमा परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करके वाराणसी में पूर्व वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय सम्प्रति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय नाम से ख्यात है वहाँ से शास्त्री एवं आचार्य प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर आचार्य में स्वर्णपदक प्राप्त करके विश्वविद्यालय में १६७५ वर्ष में साहित्य विभाग के प्राध्यापक पद पर नियुक्त हुए। आपका निधन ५ फरवरी २०२१ को काशी में हुआ।

प्रो० उपाध्याय ने वेदान्त, सांख्य, मीमांसा, न्याय आदि विविध विषयों का अध्ययन तथा स्वाध्याय काशी में प्रख्यात गुरुजनों विशेषकर स्व० म०म० पट्टाभिरामशास्त्री एवं कवितार्किकचक्रवर्ती काशी सुमेरुपीठाधीश्वर महेश्वरानन्द सरस्वती जो पूर्वाश्रम में आचार्य महादेवशास्त्री नाम से ख्यात एवं हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में संस्कृत कालेज के प्राचार्य पद से सेवा मुक्त हुए थे, के सन्निधान में सम्पन्न किया। मीरजापुर संस्कृतमहाविद्यालय बरियाघाट के तत्कालीन प्राचार्य स्व० पं० सरयू प्रसाद उपाध्याय व्याकरण- वेदान्त-साहित्याचार्य से प्रो० उपाध्याय ने व्याकरण की सम्यक् शिक्षा ग्रहण की प्रथम गुरु स्व० सरयू प्रसाद उपाध्याय ही थे । संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, पाली, प्राकृत आदि भाषा का अभिज्ञान प्रो० उपाध्याय ने किया है।

साहित्य तथा दर्शनों में सविधि तलस्पर्शी परिशीलन करके प्रो० उपाध्याय ने "सर्वदर्शन विमर्शः" स्वरचित एक हजार से अधिक कारिकाओं में (संस्कृतश्लोक) निर्मित एवं साहित्यसन्दर्भः स्वरचित कारिका-वृत्ति प्रणीत लक्षण ग्रन्थ का निर्माण किया है। ये दोनों ग्रन्थ क्रमशः दर्शन और साहित्य में प्रतिष्ठित है।

प्रथम परीक्षा से आचार्य पर्यन्त सभी परीक्षाओं को प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर प्रो० उपाध्याय ने आठ अगस्त १९७१ से जून २००३ तक सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में शास्त्री कक्षा से आचार्य कक्षा पर्यन्त प्राध्यापक, उपाचार्य और अध्यक्ष के रूप में ३२ (बत्तीस वर्षों तक अध्यापन किया। लगभग ६५ (पैसठ) शोधच्छात्रों ने विद्यावारिधि (पी-एचडी०) की उपाधि प्रो० उपाध्याय के निर्देशन में प्राप्त की है।

शताधिक लेख और विशिष्ट शोध लेख तथा अन्य शास्त्रीय सामाजिक विषयक लेख विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित है। प्रो० उपाध्याय जी के अन्यान्य काव्य नाटकलक्षणग्रन्थ प्रकाशित है।  संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा कालिदास महर्षि वाल्मीकि, विश्वभारती वर्ष २०१८ आदि अनेक पुरस्कार प्रो० उपाध्याय के अनेक ग्रन्थों पर प्राप्त हुए हैं।

प्रो० उपाध्याय ने २००६ ईशवीय वर्ष में पूर्व स्व० राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम के द्वारा आजीवन राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त किया तथा २०१२ ई० वर्ष में तिरुपति राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ से (मानित विश्वविद्यालय) “महामहोपाय्याय" सम्मानोपाधि प्राप्त किया। प्रो० उपाध्याय सम्प्रति वाराणसी में अपने आवास पर संस्कृत साहित्य के उन्नयन के लिये निरन्तर अध्ययन अध्यापन

लेखन काव्यनिर्माण आदि करते हुए काशी में अत्यन्त प्राचीन सुप्रसिद्ध श्रीकाशी विद्वत्परिषत् के महामन्त्री के दायित्व का निर्वहण किया।

 


पुरस्कार

आजीवन राष्ट्रपति सम्मान , महामहोपाय्याय