20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. आनन्द कुमार श्रीवास्तव
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जन्म 09 नवम्बर 1952
जन्म स्थान प्रयाग नगर
स्थायी पता
प्रयाग नगर

डॉ. आनन्द कुमार श्रीवास्तव

अर्वाचीन संस्कृत काव्यशास्त्र के विशेषज्ञ, डॉ. आनन्द कुमार श्रीवास्तव का जन्म 9 नवम्बर, 1952 को प्रयाग नगर के संस्कृतविद्वत्कुल में हुआ था। आपके पिता स्व0 आचार्य उमाशंकर जानकार शास्त्री संस्कृत के परम विद्वान् थे।

डॉ.  श्रीवास्तव की प्रारम्भिक एवं उच्च शिक्षा प्रयाग में ही सम्पन्न हुई। आपने सन् 1973 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम0ए0 की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और तदनन्तर त्रिवेणी कवि अभिराज राजेन्द्र मिश्र के निर्देशन में ‘पण्डित राजोत्तर आचार्यों का संस्कृत काव्यशास्त्र को मौलिक योगदान’ विषय पर डी0फिल्0 उपाधि अर्जित की। इसी बीच डॉ. श्रीवास्तव ने सम्मपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से कतिपय परीक्षायें उत्तीर्ण की साथ ही आपने प्राच्य संस्कृत व्याकरण का भी यत्किंचित् अध्ययन किया।

डॉ.  श्रीवास्तव सन् 1974 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध सी0एम0पी0 डिग्री कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए। कालान्तर में एसोशिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष तथा प्राचार्य पद को अलंकृत किया।

आपने चौदह ग्रन्थों का प्रणयन एवं सम्पादन किया है, जिनमें ‘आधुनिकसंस्कृत काव्यशास्त्र’, ‘अघोरपंचांगम्, कालिदास साहित्य एवं कामकला (दो खण्ड), ‘त्रिगुणश्रीः, ‘कविर्जयति वाल्मीकिः’, संस्कृत साहित्य में विज्ञान’ व्याकरणकुसुमांजलि’ आदि प्रमुख हैं। आजकल आप ‘श्रीभट्टसत्ता’ नामक साप्तहिक संस्कृत समाचार पत्र एवं अर्धवार्षिक संस्कृत शोधपत्रिका ‘वाङ्मयम्’ के सम्पादन में संलग्न होकर संस्कृतपत्रकारिता क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। आपने प्रयाग, वाराणसी, लखनऊ, दिल्ली, जयपुर प्रभृति नगरों में प्रवास कर संस्कृतसम्भाषण एवं प्राच्यसंस्कृतव्याकरण की कक्षायें संचालित करते हुए देववाणी का प्रचार-प्रसार किया है। इसके अतिरिक्त आपने आस्ट्रेलिया, कम्बोडिया, नेपाल प्रभृति देशों में आयोजित विश्वसंस्कृत सम्मेलन एवं अन्य संगोष्ठियों में शोध पत्र प्रस्तुत किया है।

डॉ. श्रीवास्तव अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं से सम्बद्ध हैं।


पुरस्कार

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान ने आपके ग्रन्थ ‘अघोरपंचांगम्’ को पुरस्कृत किया है। इसके अतिरिक्त इसी संस्थान से विशिष्ट पुरस्कार भी मिला। हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग ने आपको संस्कृत महामहोपाध्याय उपाधि से सम्मानित किया है।