20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रोफेसर आद्या प्रसाद मिश्र
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जन्म 29 मार्च 1921
जन्म स्थान जौनपुर
निधन 11 मार्च 2018
स्थायी पता
जौनपुर

प्रोफेसर आद्या प्रसाद मिश्र

प्रोफेसर आद्या प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1921 ई0 जौनपुर जनपद में हुआ था।

 श्री मिश्र जी 1942-43 ई0 में दह गई बी0ए0 परीक्षा को छोड़कर अन्य सभी परीक्षाओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर उत्तीर्ण हुए। 1950 ई0 में आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सोलह वर्ष तक अध्यापन कार्य किया। तदन्नतर 1975 से जुलाई 1978 तक कला संकाय के संकायाध्यक्ष तथा अक्टूबर 1978 से 1979 तक प्रतिकुलपति एवं जुलाई 1979 से 1979 से 1980 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति पद को अंलकृत किये।

आद्या प्रसाद मिश्र का 97 वर्ष की अवस्था में प्रयागराज में 11 मार्च 2018 रविवार को निधन हुआ।

 प्रो0 मिश्र के द्वारा लिखित शाड्कर वेदान्त दर्शन पर एक अंग्रेजी में साड्ख्यशास्त्र पर तीन हिन्दी में तथा विष्णुसहस्र नाम स्त्रोत पर विष्णुसहस्र नाम पर्यालोचन नाम से संस्कृत में एक कुल पाँच शोध परक ग्रन्थ प्रकाशित है। इनके अतिरिक्त छात्रों के लिये सर्वथा उपादेय उपनिषद् ‘तर्क‘ व्याकरण विवेचनात्मक छः ग्रन्थ एवं उत्तम काव्याशों की संग्रहात्मक चार पुस्तकें (भूमिका,हिन्दी,अनुवाद एवं व्याकरणात्मक टिप्पणी के साथ) प्रकाशित है। आप का संस्कृत निबन्ध मन्दाकिनी नामक उच्चतम परीक्षाओं के लिये सर्वथा उपादेय साठ संस्कृत निबन्ध ग्रन्थ प्रकाशित है। इनके भी अतिरिक्त उच्चकोटि के शोध जनरलों, अभिनन्दन ग्रन्थों एवं अखिल भारतीय विदद् गोष्ठियों के लेख संग्रहों में पचास से अधिक शोध प्रकाशित है।

 आचार्य श्री मिश्र के शोध निर्देशन में आज तक चालीस अनुसन्धाताओं ने डी.लिट् उपाधि प्राप्त की हैं।

प्रो0 मिश्र ने आल इण्डिया ओरियण्टल कान्फ्रेंस पूना में 1992 में हुए ‘‘प्लैटिनम जुबली’’ अधिवेशन में धर्म एवं दर्शन की अध्यक्षता की। आल इण्डिया ओरियण्ट कान्फ्रेंस के रोहतक में हुए 1994 के अधिवेशन में 1996 के कोलकाता अधिवेशन के लिये आपको उपाध्यक्ष चुना गया।

यू0जी0सी0 द्वारा विभिन्न वर्षों में तीन समितियों के सम्मानित सदस्य इस प्रकार अनेक संस्थाओं की समितियों के अध्यक्ष तथा सदस्य पद पर रहकर आपने कार्यो का सम्पादन किया।

प्रो0 मिश्र जी केन्द्रीय शिक्षा मन्त्रालय द्वारा उच्च शोधकार्य के लिये प्रारम्भ अलंकार चूड़ामणि योजना के अन्तर्गत 1982 में वृत्ति प्राप्त की जो 1984 में समाप्त हो गई। आप तदानीन्तन उत्तर प्रदेश संस्कृत अकादमी द्वारा 1985 में विशिष्ट पुरस्कार और विश्वभारती से सम्मानित है। वर्ष 1992 में भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा संस्कृत के लिये सर्टिफिकेट ऑफ आनर से आपको सम्मानित किया गया है। आपको वर्ष 2007 में पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ।


पुरस्कार

पद्मश्री , सर्टिफिकेट ऑफ आनर