20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो० राम नारायण द्विवेदी
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जन्म 21 दिसंबर 1981
जन्म स्थान ग्राम अरोड
स्थायी पता
ग्राम अरोड बाँदा

प्रो० राम नारायण द्विवेदी

उत्तर प्रदेश राज्य चित्रकूटधाम मण्डल के अन्तंगत बाँदा जनपद के अरोड नामक ग्राम में प्रो. द्विवेदी का जन्म हुआ। पिता श्री शिवनाथ प्रसाद द्विवेदी माता श्रीमती रामप्यारी द्विवेदी तथा जन्म तिथि 21-12-19811 प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय में सम्पन्न हुई। तदन्तर बचपन से ही संस्कृत भाषा के प्रति अनुराग होने के कारण माता जी की प्रेरणा से स्व श्री शुकदेव प्रसाद मिश्र उर्फ स्वामी शुकदेवानन्द सरस्वती के साथ वाराणसी अध्ययन के लिये भेज दिया। प्रथमा से आचार्य पर्यन्त की शिक्षा काशी में प्राप्त की तथा प्रो. रामयत्न शुक्ल के निर्देशन में शोध कार्य पूर्ण किया। शिक्षा पूर्ण करने के लिये पूज्यचरण महामहोपाध्याय श्री काशी विद्वत् परिषद् के अध्यक्ष प्रो० रामयत्न शुक्ल जी से व्याकरण एवं वेदान्त न्यायादि शास्त्रों का अध्ययन किया।

तदनन्तर संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम में अध्यापन का कार्य प्रारम्भ (अन्नपूर्णा मंदिर) किया। आदर्श विश्वनाथ गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय, कर्णघण्टा, वाराणसी में भी व्याकरण के शिक्षक के रूप में अध्यापन कार्य किया। इसके बाद सन् 2007 में आप मानवसंसाधन विकासमंत्रालय के अधीन तथा राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली से सम्बद्ध राजकुमारी गणेश शर्मा संस्कृत विद्यापीठ कोलहन्टा, पटोरी, दरभंगा, बिहार में सहायक प्रोफेसर व्याकरण विभाग में कार्य किया।

आपने उत्तरप्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ से पाणिनि पुरस्कार, संस्कृतभूषणम्, संस्कृत साहित्य सम्मेलन नई दिल्ली, महर्षिबादरायणव्यास राष्ट्रपतिसम्मान 2017. वैयाकरणभूषण, काशीविद्वत्भूषणम् सम्मान तथा अनेकों सम्मानों से सम्मानित किये गये हैं।

लिखित एवं सम्पादित ग्रन्थ - 1. व्याकरणादिशास्त्रोक्ताः लौकिकन्याया:

2. लघुसिद्धान्तकौमुदी अन्नपूर्णा व्याख्या

3. कारकादि विचार:

4. अन्नपूर्णा व्रतकथा

5. मेघदूत

6. कतिपय व्याकरणदर्शनसिद्धान्तविमर्श:

7. व्याकरणदर्शने सृष्टिप्रकियाविमर्श:

8. सर्वशास्त्रोपकारक पाणिनीयशास्त्रम् । विभिन्न ख्याति प्राप्त राष्ट्रिय एवं अन्ताराष्ट्रिय पत्र पत्रिकाओं में लगभग 60 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हैं। अन्य प्रकाशनाधीन हैं। संस्कृत भाषा के प्रति आपके समर्पण को देखते हुये काशी के विद्वानों ने आपको उत्तर प्रदेश नागकूप शास्त्रार्थ समिति, वाराणसी का महामंत्री बनाया ।


पुरस्कार

पाणिनि पुरस्कार, संस्कृतभूषणम्, महर्षिबादरायणव्यास राष्ट्रपतिसम्मान,वैयाकरणभूषण, काशीविद्वत्भूषणम्