20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. रामजी मिश्र
जन्म 07 मार्च 1655
जन्म स्थान गाँव पाण्डेयपुर
स्थायी पता
गाँव पाण्डेयपुर ,सुल्तानपुर

डॉ. रामजी मिश्र

महामहोपाध्याय डॉ० रामजी मिश्र का जन्म अवध संभाग के सुल्तानपुर जनपदान्तर्गत लम्भुआ, तहसील के पाण्डेयपुर नामक गाँव में प्रतिष्ठित सरयूपारीण ब्राह्मण परिवार में ७ मार्च सन् १६५५ को हुआ। इनके पिता पं. रघुपति प्रसाद मिश्र उच्च कोटि के कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे। डॉ. मिश्र जी ने इसी प्राथ्य परम्परा का अनुसरण करते हुये संस्कृत एवं कर्मकाण्ड का अध्ययन अपने पूज्य पिता जी से किया माध्यमिक शिक्षा की पाठशाला में तथा संस्कृत की पारम्परिक शिक्षा श्री धर्मसंघ शिक्षा मण्डल दुर्गाकुण्ड, वाराणसी एवं श्री भारत धर्म महामण्डल वाराणसी से प्राप्त किया। उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय इलाहाबाद, काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी एवं कुमायूँ विश्वविद्यालय नैनीताल से प्राप्त कर एम.ए. थी एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर (बिहार) द्वारा इन्हें डी.लिट् सम्मानोपापि से विभूषित किया गया। धर्मसंघ वाराणसी में रहते हुये आपको धर्म सम्राट् पूज्य स्वामी श्रीकरपात्री जी महाराज, ऊर्ध्वाम्नाय काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्रीशंकरानन्द सरस्वती जी महाराज, प्रो. रामगोविंद शुक्ल का सान्निध्य मिला, जिससे आपने दर्शन एवं शास्त्रों का गम्भीर अध्ययन किया। शिक्षोपरान्त इनकी नियुक्ति भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन आकाशवाणी में प्रसारण अधिशासी पद पर हुयी और बाद में कार्यक्रम अधिशासी (संस्कृत) पद पर पदोन्नति हुयी। आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों पर इन्होंने संस्कृत के प्रचार-प्रसार का महत्वपूर्ण कार्य किया आकाशवाणी, इलाहाबाद, वाराणसी से प्रसारित संस्कृत पत्रिका कार्यक्रम का सम्पादन करते रहे और आज भी अनवस्त करते चले आ रहे हैं। संस्कृत कवि सम्मेलन, संस्कृत कविगोष्ठी, संस्कृत परिचर्चा, संस्कृतवार्ता का आयोजन कर संस्कृत के प्रचार-प्रसार में रत रहें। आकाशवाणी, इलाहाबाद से आप कार्यक्रम अधिशासी (संस्कृत) राजपत्रित पद से सेवानिवृत्त होने के पश्चात् भी संस्कृत पत्रिका का सम्पादन कार्य आज भी पूर्ण मनोयोग से कर रहे हैं।

डॉ. मिश्र को हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यमहोपाध्याय तथा संस्कृत महामहोपाध्याय, श्रीमद् आर्यावर्त विद्वत्परिषद् तथा श्री भारत धर्म महामण्डल वाराणसी द्वारा "महामहोपाध्याय", भारतीय विद्या अध्ययन केन्द्र वाराणसी द्वारा साहित्य श्री" अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संस्थान इलाहाबाद द्वारा "हिन्दी भूषण" राष्ट्रभाषा परिषद् प्रयाग द्वारा "साहित्य प्रवीण" श्री शंकराचार्य वैदिकशोध संस्थानम् वाराणसी द्वारा "साहित्यवाचस्पति" मानद उपाधियों से विभूषित किया जा चुका है। आकाशवाणी द्वारा संस्कृत के महनीय प्रचार-प्रसार हेतु भारतीपरिषद् प्रयाग की ओर से पश्चिम बंगाल के माननीय राज्यपाल पं. केशरी नाथ त्रिपाठी ने "प्रशस्ति पत्र प्रदान कर अभिनन्दित किया है।

पुरस्कार-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा करपात्री पुरस्कार, विश्व कल्याण परिषद् नई दिल्ली द्वारा आचार्य शंकर पुरस्कार, विश्व भारती अनुसंधान परिषद् मानपुर द्वारा "विश्व भारती पुरस्कार" अखिल आकाशवाणी राजभाषा पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा सर्जना पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ द्वारा दो बार विविध पुरस्कार तथा वर्ष २०१८ का नारद पुरस्कार प्रदान किया गया है। कृतियाँ स्वामी करपात्री जी और उनका राजनैतिक दर्शन, धर्म और राजनीति, शंकराचार्य और उनकी परम्परा, रामानुजाचार्य और उनकी परम्परा, प्रमुख ऋषि मुनियों की परम्परा, तीर्थाजति काव्यांजलि, कुंभपर्व और नागासम्प्रदाय आदि कृतियाँ प्रकाशित है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं सहयोगी संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित हैं। आकाशवाणी, दूरदर्शन से संस्कृत, हिंदी कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं।