20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
प्रो. कामता प्रसाद त्रिपाठी
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जन्म 01 जून 1947
जन्म स्थान ग्राम अगई प्रतापगढ़
स्थायी पता
ग्राम अगई प्रतापगढ़

प्रो. कामता प्रसाद त्रिपाठी

रससिद्ध लब्यप्रतिष्ठ संस्कृत कवि प्रो० कामताप्रसाद त्रिपाठी 'पीयूष' का जन्म ०१.०६.१९४७ में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के अन्तर्गत 'अगई' ग्राम में हुआ। इनकी माता स्व० पार्वती देवी एवं पिता स्व० श्री रामसुन्दर त्रिपाठी थे।

व्याकरणाचार्य, एम० ए० (संस्कृत साहित्य), साहित्यरत्न, पी-एच०डी० डी० लिट्० तथा मानद डी० लिट् आदि उपाधियों से मण्डित प्रो० त्रिपाठी ने चालीस वर्षों तक विश्वविद्यालयीय अध्यापन कार्य किया। मुख्य रूप से इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ (छ0ग0) के संस्कृत विभाग में २०.०४.१६७१ से ३१.०८.२००६ तक व्याख्याता प्रवाचक एवं प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। सेवानिवृत्ति के पश्चात् भी उसी विश्वविद्यालय में सात सत्रों तक विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में सेवाएं प्रदान की प्रतिनियुक्ति के आधार पर महात्मागान्धी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट (म०प्र०) एवं जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट (उ०प्र०) में विजटिंग प्रोफेसर एवं कला संकायाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। अध्यापन के साथ कुलानुशासक, छात्रावास अधीक्षक, कुलसचिव से लेकर प्रभारी कुलपति के पदों पर सेवाएं प्रदान की। आपके निर्देशन में १४ शोधार्थी पी-एच०डी० उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।

प्रो० त्रिपाठी की शताधिक संस्कृत कविताएं एवं पचास से अधिक शोधलेख प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित है।

मुख्य प्रकाशित पुस्तकें - (क) मौलिक १. 'युगवेदना' संस्कृत काव्य (हिन्दी काव्यानुवाद सहित) वर्ष १९६७ २. 'अस्मिता' दार्शनिक हिन्दी काव्य वर्ष १९८७,३. 'रामभद्रोद्भवम्' संस्कृत काव्य वर्ष २०००, ४. 'गोविन्दवन्दनम्' संस्कृतकाव्यम् (हिन्दी काव्यानुवाद सहित) वर्ष २०१७ पुरस्कृत ५. 'रघुपमहिममपु' लध्वक्षरीय संस्कृतकाव्य (रामकथानक) वर्ष २०१८ ।

(ख) सम्पादन 1. 'संगीत सूर्योदय' महत्वपूर्ण ग्रन्थ का प्रथमतः सम्पादन एवं प्रकाशन वर्ष १६८६२ भासतरंग (सम्पादन एवं प्रकाशन वर्ष २०१५) ३. कलासौरभ' (शोध पत्रिका), ४. समानुभूति' (अन्ताराष्ट्रिय शोधपत्रिका), ५. 'कलावैभव' (सम्पादन सहयोग), ६. 'सरस्वती' (शोध-पत्रिका सम्पादन सहयोग)

राष्ट्रिय एवम् अन्ताराष्ट्रिय कवि सम्मेलनों में त्रिपाठी जी का काव्यपाठ प्रशंसित होता रहा है। 'आकाशवाणी से काव्य, वार्ता एवं साक्षात्कार आदि का प्रसारण होता आया है।

लब्ध-सम्मान-

१. छत्तीसगढ़ का 'महर्षि वाल्मीकि सम्मान एवं पुरस्कार (२१.०८.२०१३), २. 'काव्यरत्नाकर' उपाधि (०४.०१. २००३ छत्तीसगढ़ महोत्सव के अन्तर्गत), ३. 'मानद डी लिटू (२०१०) द्वारा जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग, विश्वविद्यालय चित्रकूट (उ०प्र०), ४. उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान (०६.०६. २००७) ५. लहरी सम्मान (१२.०२.२००८) उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान का विशिष्ट पुरस्कार (वर्ष २०१८) ।


पुरस्कार

महर्षि वाल्मीकि , काव्यरत्नाकर ,लहरी सम्मान , विशिष्ट पुरस्कार