20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ. वेदपाल
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जन्म 01 जनवरी 1951
जन्म स्थान ग्राम ततारपुर

डॉ. वेदपाल

आर्य जगत् के ख्याति प्राप्त विद्वान् डॉ० वेदपाल का जन्म १ जनवरी १९५१ को हापुड़ जनपद के ततारपुर नामक ग्राम में हुआ था। आपके पिता श्री रघुवीर सिंह तथा माता श्रीमती मोहर कौर थी।

आपने प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला से प्राप्त की। उसके पश्चात् आपने हरिद्वार में स्थित गुरुकुल महाविद्यालय, ज्वालापुर से विद्याभास्कर (स्नातक) की उपाधि प्राप्त की और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ से परास्नातक की उपाधि प्राप्त कर पी०एच०डी० की शोधोपाधि प्राप्त की।

आपने जनता वैदिक पी०जी० कालेज, बड़ौत (बागपत) में संस्कृत विभागाध्यक्ष पद पर अध्यापन कार्य करते हुए अपने वैदुष्य, शालीनता और सरलता से सभी को प्रभावित किया। पन्द्रह शोध छात्र आपके निर्देशन में पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। आपके लगभग ८० शोध पत्र अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। प्राच्यविद्यानुसन्धानम् षाण्मासिकी शोध पत्रिका विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुदान से १३ वर्षों से प्रकाशित कर रहे हैं। वैयाकरण शास्त्र परम्परा को आगे बढ़ाते हुए आपने काशिका के प्रथम अध्याय की विस्तृत व्याख्या की है, जो अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में आदर्श व्याख्या ग्रन्थ के रूप में प्रसिद्ध है। आपने प्राचीन वैदिक शृंखला को पोषित करते हुए पारस्करगृह्मसूत्र की कर्कभाष्य सहित विस्तृत व्याख्या की है। महर्षि दयानन्द सरस्वती के पत्र व्यवहारों का दो भागों में चौदह सौ पृष्ठों में सम्पादन किया है।

गुरुकुल महाविद्यालय ततारपुर की स्थापना में आपके पिताश्री ने सन् १९६५ में भूमिप्रदान कर अविस्मरणीय योगदान दिया है। डॉ० वेदपाल गुरुकुल महाविद्यालय, ततारपुर के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। आप इस संस्था के माध्यम से संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं।

डा० वेदपाल की विशिष्ट संस्कृत सेवा को लक्षित कर उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा वर्ष २०१८ का विशिष्ट पुरस्कार प्रदान किया गया।


पुरस्कार

विशिष्ट पुरस्कार