20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
डॉ बीना गुप्ता
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जन्म 28 अक्टूबर 1950
जन्म स्थान आगरा
स्थायी पता
आगरा

डॉ बीना गुप्ता

डॉ. बीना गुप्ता का जन्म 28 अक्टूबर सन् 1950 में आगरा में हुआ था । आपके पिता स्व. प्रानसुख गुप्ता तथा माता स्व. सत्यवती गुप्ता जी हैं। आपका विवाह 31 दिसंबर, सन् 1973 को डॉ. सत्यदेव कुमार गुप्ता जी के साथ हुआ था । आपके पुत्र श्री अनुराग गुप्ता (इंजीनियर) तथा पुत्रियाँ श्रीमती अर्ची  गुप्ता (इंजीनियर) तथा चारु गुप्ता (एम.एस.सी., पी.एच.डी.) हैं ।

डॉ. बीना गुप्ता की आरम्भिक शिक्षा आगरा में ही हुई । आपने केदारनाथ सेक्सारिया इण्टर कॉलेज, आगरा से कक्षा 1 से 12 तक अध्ययन किया । इसके बाद बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय, आगरा से बी.ए. किया । आगरा कॉलेज से एम.ए. किया तथा 1977 में पी.एच.डी. की । आपने "संस्कृत के प्रमुख रूपकों में शैशव वर्णन एक अध्ययन" विषय पर शोध उपाधि प्राप्त की। आपका पी.एच.डी. शोध कार्य अभी अप्रकाशित है । आप भारतीय दर्शन, साहित्य एवं व्याकरण की विदुषी हैं । आपके निर्देशन में 24 शोध छात्रों ने शोध उपाधि प्राप्त की है । आपके गुरु – डॉ. शान्ति नागर, (सैक्सरिया इण्टर कॉलेज आगरा),  डॉ. शशी तिवारी (मैत्रेयी कॉलेज, दिल्ली), डॉ. पारसनाथ द्विवेदी, डॉ. राजकुमार जैन एवं डॉ. वाचस्पति पाण्डेय (आगरा कॉलेज) आदि ने संस्कृत अध्ययन एवं अध्यापन के लिए प्रोत्साहित किया ।

डॉ. बीना गुप्ता वैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय आगरा के संस्कृत विभाग की विभागाध्यक्ष - रीडर रह चुकी हैं । आपका शैक्षणिक अनुभव 20 सितंबर, 1974 से 30 अक्टूबर 2013 तक रहा है । आपको हिन्दी, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान है । आपके शिष्यों में बी.ए., एम. ए. तथा पी.एच.डी. करने वाली अनेक छात्राएँ आज भिन्न-भिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं संस्थाओं में संस्कृत अध्यापन का कार्य कर रही हैं । उनमें प्रमुख हैं - डॉ. शीला गुप्ता, डॉ. रेखा शर्मा, डॉ. मंजू शर्मा, डॉ. शशिप्रभा, डॉ. लक्ष्मी वर्मा, डॉ. भारती, डॉ. एकता, डॉ. रंजना, डॉ. लक्ष्मी अग्रवाल, डॉ. अगम कुलश्रेष्ठ, डॉ. छवि गुप्ता, डॉ. आभा बघेल, डॉ. रेनू शर्मा, डॉ. निशा गुप्ता, डॉ. सविता आदि ।

डॉ गुप्ता के लगभग 65 शोध पत्र प्रकाशित हैं । आपने 10 पुस्तकों का सम्पादन किया है - 1. वेदान्तसार 2. तर्कभाषा 3. सांख्यकारिका 4. चार्वाकदर्शन 5. जैनदर्शन 6. बौद्ध दर्शन 7. सौन्दर्यलहरी 8. घटकर्पर 9. संस्कृत व्याकरण ( बी.ए. प्रथम) तथा 10. संस्कृत व्याकरण (इण्टर मीडिएट), संजय पुस्तक मंदिर, राजामण्डी आगरा से प्रकाशित हैं । आपने कुल 15 लेख लिखे हैं । आपके लेख बैकुण्ठी देवी कन्या महाविद्यालय, आगरा की वार्षिक पत्रिका, दयालबाग डीम्ड विश्वविद्यालय की शोध पत्रिका एवं समाचार-पत्र में प्रकाशित हुए ।

डॉ. गुप्ता का जीवन संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु सदैव तत्पर रहता है । आप अपने निवास स्थान के समीपवर्ती बच्चों को संस्कृत पढ़ने में सहायता करती हैं तथा संस्कृत अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करती रहती हैं । आप संस्कृत विषय से सम्बन्धित उच्च स्तरीय छात्राओं की समस्याओं का यथाशक्ति समाधान करने हेतु सदैव तत्पर रहती हैं । आपने 2013 में अपने महाविद्यालय में राष्ट्रीय स्तर का एक सङ्गोष्ठी का आयोजन कराया, जिसमें 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया था । "समाज साहित्य और संस्कृति" शीर्षक से पुस्तक का प्रकाशन कराया ।