20 वीं शताब्दी की उत्तरप्रदेशीय विद्वत् परम्परा
 
रामबालक व्यास
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जन्म स्थान ग्राम हरचंदपुर

रामबालक व्यास

पं. रामबालक व्यास जी का जन्म ग्राम हरचंदपुर, बावनी स्टेट, कदौरा, जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश में हुआ था। आपके पिताजी स्वर्गीय बच्चालाल व्यास जी थे एवं माता श्रीमती कौशिल्या देवी थीं। आपका विवाह 6 जून, 1972 ईस्वी में हुआ। आपकी पत्नी श्रीमती सावित्री व्यास (शिक्षिका) से एक पुत्र एवं एक पुत्री हुई। पुत्र मिथलेश कुमार व्यास एवं पुत्री श्रीमती चित्रा देवी हैं।

आप पूर्व प्रधानाध्यापक, पूर्व माध्यमिक विद्यालय बोहदपुरा, उरई जालौन में सेवानिवृत्ति पर्यन्त कार्यरत रहे। वर्तमान में सेवानिवृत्त होने के बाद भी संस्कृत के विद्यार्थियों  को तैयार करने एवं संस्कृत की सेवा में लगे हुए हैं।

आपकी आरंभिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला हरचंदपुर से शुरु हुई। प्रथमा, पूर्वमध्यमा, उत्तर मध्यमा आपने श्री भुवनेश्वरी महेश्वरानंद संस्कृत महाविद्यालय, झलोखर, राठ हमीरपुर उत्तर प्रदेश से उत्तीर्ण की। परंपरागत उच्च शिक्षा के रूप में शास्त्री आपने 1974 ईस्वी में पूर्ण किया एवं आचार्य संस्कृत साहित्य के साथ 1977 ईस्वी में संस्कृत महाविद्यालय झलोखर, हमीरपुर से उत्तीर्ण किया। आधुनिक शिक्षा में आपने एम.ए. (संस्कृत) 1980 ईस्वी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी से पूर्ण किया एवं बी.टी.सी. 1972 ईस्वी में उत्तीर्ण कर जूनियर हाई स्कूल में अध्यापन कार्य करने लगे। आप संस्कृत साहित्य शिक्षक संगठन, शिक्षक संघ के 30 वर्ष अध्यक्ष तथा प्रांतीय उपाध्यक्ष 3 वर्ष रहे। आपने श्री भुवनेश्वरी महेश्वरानंद संस्कृत महाविद्यालय झलोखर, हमीरपुर महाविद्यालय के संचालन में मंत्री आदि पदों का दायित्व का निर्वहण किया। आप शिक्षकों के प्रशिक्षण देनें में संदर्भदाता 9 वर्ष रहे, बनारस में प्रशिक्षण प्रदान किया। संस्कृत के प्रचार-प्रसार हेतु आप सतत संलग्न रहे। जिसमें संस्कृत भाषा के प्रशिक्षण में बेसिक शिक्षा में संस्कृत व्याकरण, सरल बोधगम्य संभाषण के लिए कार्ययोजना बना कर प्रदेश के 456 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में क्रियान्वित कराया, जो एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कार्य रहा।

गुरुपरंपरा में श्री उमाशंकर (कानपुर) निवासी प्राचार्य झलोखर महाविद्यालय एवं श्री विश्वनाथ (पूज्य चाचा जी), श्री यमुना प्रसाद शास्त्री (बांदा) एवं श्री सुखदेव प्रसाद त्रिपाठी  (हमीरपुर) प्रमुख रहे।

शिष्यों में आपके डॉ सज्जन कुमार ;ब्डव्द्ध, श्री कामता प्रसाद ;ब्व्द्ध कानपुर प्रमुख रहे।

राज्य पुरस्कार के रूप में आपको 2010 में इंदिरा भवन लखनऊ में एकमात्र ’’ राज्य अध्यापक पुरस्कार’’ प्रदान किया गया।

100 से अधिक श्रीमद्भागवत कथाओं का मूल वाचन 2015 ईस्वी तक आपने किया। आप ज्योतिष  एवं पांडित्य के विशेष जानकार रहे। आप संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। नये संस्कृत के विद्यार्थियों को तैयार करना आपकी स्वाभाविक  रुचि रही है।


पुरस्कार

राज्य अध्यापक पुरस्कार’